फोरलेन निर्माण में NGT नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां, पहाड़ों की कटिंग कर ब्यास नदी में फेंका जा रहा मलबा, वन विभाग व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की खामोशी पर उठने लगे सवाल

सुभाष ठाकुर*******

पहाड़ों से खुले में फैंके जाने वाले मलबे पर एनजीटी (राष्ट्रीय हरित जनादेश) के निम्नलिखित नियमों का उल्लंघन होता है। यह मामला सभी बुद्धि जीवियों  और जिला प्रशासन के आलाधिकारियों के संज्ञान पर पिछले कई महीनों  से जरूर आया हुआ है लेकिन कुछ स्तंभ के नाम की आड़ लेकर अपनी ठेकेदारी चमका रहे , तो कुछ अधिकारियों ने कार्यवाहीं अपने निजी हितों को साध कर नहीं की जाती है।  मामले की गंभीरता को देख कर भी खामोशी बनाई हुई है।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986

इस अधिनियम के तहत, परियोजना के निर्माण के दौरान मलबे को विशेष रूप से निर्धारित डंपिंग साइट पर ही फेंकना चाहिए। खुले में मलबा फेंकने से पर्यावरण प्रदूषण और इकोसिस्टम को नुकसान पहुंचता है ।

जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974

इस अधिनियम के तहत, जल स्रोतों में किसी भी प्रकार का प्रदूषण फैलाना अपराध है। मलबे को खुले में फेंकने से जल स्रोतों में प्रदूषण फैलता है और जल जीवों को नुकसान पहुंचता है ।

*वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981*

इस अधिनियम के तहत, वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। मलबे को खुले में फेंकने से वायु प्रदूषण फैलता है और स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं ।

एनजीटी के नियम, 2012

एनजीटी के नियमों के तहत, परियोजना के निर्माण के दौरान पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) करना अनिवार्य है। मलबे को खुले में फेंकने से पर्यावरण प्रभाव आकलन के नियमों का उल्लंघन होता है।


    पठानकोट-मंडी फोरलेन निर्माण कंपनियों द्वारा नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नियमों की धज्जियां खुलेआम उड़ाई जा रही है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के नियमों और कानून के जिम्मेवार रखवालों के साथ निर्माण कार्य पर जुटी हुई कम्पनियां अधिकारियों के साथ मिलीभगत से यह कार्य पिछले कई समय से चला हुआ है।
पहाड़ियों के नीचे बेतरतीब तरीके से मलबे को ब्यास नदी के तट पर फेंका जा रहा है।
वन अधिकारियों के कार्यालय से 300 मीटर की दूरी पर यह अवैध कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है। कंपनी ने वन विभाग से 1.4 हेक्टेयर वन भूमि की डंपिंग के लिए स्वीकृति ली हुई है ।जबकि कंपनी द्वारा पहाड़ी से नीचे फेंका का रहा मलबा कई हैक्टेयर भूमि फेंक कर कई पेड़ पौधों को क्षति पहुंचा चुके हैं । वन अधिकारियों और कर्मचारियों की नजर आज तक अपने कार्यालय से महज 300 की दूरी पर हो रहे यह अवैध डंपिंग पर की कदम नहीं उठा पाए।
मंडी शहर के दो किलोमीटर की दूरी स्कोर रोड पर बिजनी निकाली जा रही टनल का दूसरा छोर स्कोर के पास एक क्रशर की साईट पर दूसरे छोर की खुदाई हो रही है।
जिसके लिए जिला प्रशासन अधिकारियों

पर्यावरण नियमों की अनदेखी एक गंभीर मुद्दा बन गया है। कंपनियां वन क्षेत्रों में पहाड़ियों के मलबे को पहाड़ी के नीचे सीधे फेंक रही हैं, जिससे पहाड़ी पर लगे पेड़-पौधे नष्ट हो रहे हैं। यह न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है।

वन अधिकारियों की खामोशी इस मुद्दे को और भी गंभीर बना रही है। नैशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा चिन्हित डंपिंग साइट के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी मलबा फेंका जा रहा है, जो पर्यावरण नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है ¹।

आम जनता और प्रशासनिक अधिकारी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर वन अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और कंपनियों को पर्यावरण नियमों का पालन करने के लिए मजबूर करना चाहिए। साथ ही, आम जनता को भी जागरूक करना चाहिए और पर्यावरण संरक्षण के लिए सहयोग करना चाहिए।

 

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देव भूमि पर्यावरण रक्षक मंच के अध्यक्ष नरेंद्र सैनी मामले की गंभीरता पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि पहाड़ी से खुले से नीचे जगह जगह ब्यास नदी में फेंका जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र नगर निगम के क्षेत्र अधिकार में आता है, वन विभाग के अधिकारी खामोश बैठे हुए हैं। मत्स्य विभाग के अधिकारी हो या पॉलिशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों की खामोशी बहुत ही चिंता जनक है । उन्होंने कहा कि अधिकारियों की लापरवाहीं के कारण ब्यास नदी में पल रहे जीवों का अस्तित्व मिटने की कगार पर पहुंच चुका है।

नरेंद्र सैनी ने कहा कि वह नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयर मेन को एक पत्र लिखेंगे और मीडिया की कटिंग भी संलग्न करेंगे तथा उन्हें फोटो और वीडियो सहित अवगत करवाएंगे कि NGT के नियमों की बखियां कैसे हिमाचल में उड़ाई जा रही है। 

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         मामले की जानकारी जब मंडी वन सर्कल डीएफओ वासु डुगर से ली गई तो उन्होंने कहा कि स्कोर रोड के पास क्रशर साईट के आसपास 1.4 हेक्टेयर वन भूमि डंपिंग के लिए स्वीकृति ली हुई है।
     जब उन्होंने पूछा गया कि वहां पर कई हैक्टेयर पर पहाड़ी से मलबा नीचे फेंका जा रहा है । उन्होंने  कहा कि विभाग के कर्मियों को मौके पर निरीक्षण के लिए भेजा हुआ है, अगर नियमों की अवेहलना की होगी तो सख्ती से कार्यवाही होगी।

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