प्रधान सलाहकार (मीडिया) का 12 जून, 2025 को जारी प्रेस वक्तव्य
अमर ज्वाला //शिमला
मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने कहा है कि भाजपा केंद्र में अपनी भाजपा सरकार सत्ता में 11 वर्ष पूरे होने पर खूब शोर मचा रही है, लेकिन कंेद्र ने हिमाचल प्रदेश के हितों की पूरी तरह अनदेखी की है। यहां तक कि हिमाचल से भाजपा के सांसद भी राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने में विफल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हिमाचल से भाजपा के 11 लोकसभा सांसद रहे लेकिन वे केंद्र के समक्ष हिमाचल के हितों को उठाने में पूरी तरह विफल रहे। वे कर्मचारियों के एनपीएस और आपदा राहत के अंतर्गत विशेष पैकेज की मांग भी नहीं उठा पाए।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार हिमाचल को अपना दूसरा घर बताया है और यहां पर्यटन और बागवानी को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जता चुके हैं लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं हुआ है। विदेशी सेब पर सौ फीसदी आयात शुल्क लगाने की बजाय प्रधानमंत्री ने हाल ही में अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान आयात शुल्क को मौजूदा 75 प्रतिशत से घटाकर 50 प्रतिशत कर दिया। इसी तरह, उन्होंने वायदा किया था कि स्थानीय किसानों की आय बढ़ाने के लिए शीतल पेय में पांच प्रतिशत प्राकृतिक फलों का रस मिलाया जाएगा लेकिन यह वादा भी अधूरा रह गया।
नरेश चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार ने आपदा राहत के लिए राज्य को 25 करोड़ रुपये की कोई विशेष वित्तीय सहायता नहीं दी है। हिमाचल को 10,000 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई है, जो केंद्र प्रायोजित योजनाओं का हिस्सा है और इस पर राज्य का हक बनता है। उन्होंने प्रदेश के भाजपा सांसदों पर आरोप लगाया कि वे यहां की जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, क्योंकि प्रदेश के हित में उनका कोई योगदान नहीं रहा है।
उन्होंने कहा कि बीबीएमबी के पास लम्बित पड़ी प्रदेश की देनदारी का मामला भी वे केंद्र के समक्ष नहीं उठा पाए और केंद्र सरकार पौंग डैम विस्थापितों के प्रति भी उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं। दूसरी ओर प्रदेश भाजपा के नेता केंद्र सरकार की उपलब्धियों पर बढ़ा-चढ़ाकर दावे प्रस्तुत कर रहे हैं जो विशेषतौर पर हिमाचल प्रदेश में धरातल पर कहीं नज़र नहीं आते। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने पौंग डैम विस्थापितों को भूमि प्रमाण-पत्र वितरित किए ताकि उनकी समस्या का समाधान हो सके। उन्होंने प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता दिखाई है कि विस्थापितों को चरणबद्ध तरीके से भूमि उपलब्ध करवाई जाएगी।
वहीं, मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर प्रदेश के 1.36 लाख कर्मचारियों को लाभ पहुंचाया है, वहीं केंद्र सरकार ने राज्य को मिलने वाले 16,000 करोड़ रुपये के अनुदान को रोक दिया है और एनपीएस की 9000 करोड़ रुपये की राशि भी जमा नहीं करवाई है।
उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के 11 वर्ष पूरे होने पर जश्न मनाने का कोई आधार नहीं है, क्योंकि उसने हिमाचल प्रदेश और यहां के नागरिकों के साथ भेदभाव किया है। केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जिन वायदों के आधार पर 2014 में भाजपा सरकार सत्ता में आई थी, उन्हें अभी तक पूरा नहीं किया गया है। महंगाई और बेरोजगारी प्रमुख मुद्दे हैं, जिनका तुरंत समाधान किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री की भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए काले धन को वापस लाने की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के कारण देश के मौजूदा सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कार्यों में व्यापक व्यवधान उत्पन्न हुआ है।