प्रदेश सरकार की योजनाओं से सशक्त हो रही महिलाएं

महिलाओं और बच्चों का समावेशी विकास किया जा रहा सुनिश्चित

26000 से अधिक लाभार्थियों को वितरित की गई लगभग 90 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता

अमर ज्वाला //शिमला

महिलाएं समाज का अभिन्न अंग है। आत्मनिर्भर हिमाचल के निर्माण में महिलाओं की सशक्त भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार महिलाओं को केंद्र में रखकर कई कल्याणकारी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित कर रही हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा और वित्तीय स्वावलंबन आधारित योजनाओं के लाभ महिलाओं और बच्चों को मिल रहे हैं।

सरकार की सकारात्मक प्रयासों का यह नतीजा है कि हिमाचल प्रदेश में लिंगानुपात में महत्त्वपूर्ण सुधार हुआ है। प्रदेश में लिंगानुपात की दर वर्ष 2023 में 947 से बढ़कर वर्ष 2024 में 964 हो गई है। यह सकारात्मक बदलाव दर्शाता है कि समाज में लड़कियों के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव हुआ है।

प्रदेश सरकार वंचित वर्गों की बेटियों की शादी के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। प्रदेश की 3,956 लड़कियों को उनकी शादी के समय मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत 1,989.31 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई। सरकार की शगुन योजना लड़कियों के जीवन को खुशियों से भर रही है। मुख्यमंत्री शगुन योजना के तहत 12,192 लड़कियों को 3,779.52 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी गई है। सरकार के यह प्रयास प्रदर्शित कर रहे हैं कि अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की लड़कियां भी सम्मान और खुशी के साथ जीवन के एक नए चरण में प्रवेश कर रही हैं।

प्रदेश में विधवा पुनर्विवाह योजना के माध्यम से वित्तीय सहायता भी प्रदान की जा रही है। योजना के तहत, 239 महिलाओं को 291.15 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी गई है।

सामाजिक सरोकारों का निर्वहन करते हुए समाज का समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए सरकार समाज के वंचितों के प्रति संवदेनशील दृष्टिकोण अपना रही है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने अनाथ बच्चों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना को शुरू किया। अब तक इस योजना के तहत 25.98 करोड़ रुपये से निराश्रित बच्चों को आश्रय प्रदान किया गया है। शिक्षा की पहुंच सभी तक सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना के तहत 302.18 लाख रुपये से 9,859 बच्चों को लाभान्वित किया गया है। प्रदेश में बच्चों को सपने साकार करने के लिए अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।

प्रदेश सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए हिमाचल प्रदेश भू-जोत अधिकतम सीमा अधिनिमय, 1972 में संशोधन कर बेटियों को अलग पारिवारिक इकाई मानते हुए बेटो के बराबर अधिकार दिया है। अब किसी परिवार की अधिकतम स्वीकार्य भूमि सीमा की गणना के लिए बेटियों को भी अलग इकाई माना जाएगा। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के इस महत्वकांक्षी निर्णय से महिलाओं के संपति अधिकारों में बढ़ोतरी हुई है।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में वर्तमान राज्य सरकार की इंदिरा गांधी सुख सुरक्षा योजना एक महत्त्वपूर्ण कदम है। इस योजना के तहत, सरकार बीपीएल परिवार में पैदा होने वाली दो बेटियों के लिए बीमा कंपनी के पास 25,000 रुपये जमा करवा रही है। योजना के तहत माता-पिता को 2-2 लाख रुपये का जीवन बीमा कवर भी मिल रहा है। जमा की गई राशि बालिका को बालिग होने पर या स्वेच्छानुसार 27 वर्ष की आयु तक प्रदान की जाएगी।

कामकाजी महिलाओं की सहायता के लिए, सरकार सोलन, बद्दी, पालमपुर, गगरेट और सोलन में मेडिकल डिवाइस पार्क जैसे प्रमुख स्थानों पर 13 कामकाजी महिला छात्रावास निर्मित करेगी। इन छात्रावासों का निर्माण इस वित्त वर्ष में 132 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा, जिससे कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित, किफायती और सुविधाजनक आवास की सुविधा उपलब्ध होगी।

मुख्यमंत्री के सक्षम नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश में महिलाओं और बच्चों का समावेशी और समग्र विकास सुनिश्चित किया जा रहा है। सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। सरकार के इन प्रयासों के फलस्वरूप सशक्त समाज का निर्माण हो रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *