अमर ज्वाला //मंडी
प्रशासनिक पद से सेवा निवृत बी आर. कौण्डल जनसमाधन केंद्र के माध्यम से समाज के ऐसे मामलों पर सरकार और प्रशासन का ध्यान केंद्रित करके अनेकों मामलों का स्थाई समाधान कर चुके हैं। बीआर कोंडल तथा उनके साथ सेवा भारती में जुड़े हुए राजकमल ठाकुर दोनों ने समाज के ऐसे लोगों की आवाज बुलंद कर उनका समाधान करते आए हैं
बी आर कोंडल ने मंडी नगर निगम के अंतर्गत पुरानी मंडी के एक स्कूल का मामला उजागर कर शिक्षा विभाग की नीद उड़ा डाली है। उन्होंने मेल कर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के शिक्षा संबंधी दावों की बुनियाद हिला दी है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी पोस्ट किया हुआ है कि वहां पर यह जिक्र किया हुआ है कि एक घरेलू महिला सुनीता देवी ने बताया कि उसके तीन बच्चे नगर परिषद मंडी के एक सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं और वह हर बच्चे की ₹200 प्रति माह फीस देती है।
*शिक्षा के अधिकार की अवहेलना:*
सुनीता देवी के अनुसार, स्कूल के एक अध्यापक ने बताया कि स्कूल में टीचर नहीं है, इसलिए बाहर से एक मैडम को बुलाया गया है, उन्हें पैसे देने होते हैं, इसलिए फीस ली जाती है। यह मामला शिक्षा के अधिकार अधिनियम की सीधी अवहेलना है, जो 6 से 14 वर्ष तक के हर बच्चे को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी बताता है। क्या फीस वसूली का यह धंधा मंडी तक सीमित है या पूरे प्रदेश में यह खामोश लूट जारी है ? क्या शिक्षा निदेशालय इस तरह के लेनदेन से अनजान है या फिर जानबूझकर आंख मूंद ली गई है? इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष और व्यापक जांच ज़रूरी है, ताकि यह तय हो सके कि हिमाचल प्रदेश की सरकारी शिक्षा व्यवस्था जनहित में है या जेबहित के लिए शुरू हो चुकी है यदि जांच में आरोप सही साबित हों तो फीस वसूलने वाले अधिकारियों/शिक्षकों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए।