दसवीं का गणित गड़बड़ाया, विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद पाया!
फर्जी नियुक्तियों का जाला खुलासा
सुभाष ठाकुर*******
मंडी सरदार पटेल और केंद्रीय विश्वविद्यालय
धर्मशाला में हुई शिक्षकों और गैर शिक्षकों के पद पर अपात्र लोगों की नियुक्तियों पर दिल्ली के जाने माने आरटीआई एक्टिविस्ट देवाशीष भट्टाचार्य ने राज्य उच्च न्यायलय शिमला में एक केस फाईल कर केंद्रीय विश्व विद्यालय के कुलपति के पद पर एसपी बंसल की नियुक्ति को चुनौती दे डाली है। कोदी य विश्वविद्यालय धर्मशाला के कुलपति के साथ
साथ मंडी सरदार पटेल विश्वविद्यालय में नियुक्त अपात्र प्रोफेसरों सहायक प्रोफेसरों की नियुतियों पर भी तलवार लटक चुकी है। यही नहीं पुख्ता दस्तावेजों से जानकारी मिली है कि केंद्रीय विश्व विद्यालय में नियुक्त एक प्रोफेसर सरकारी स्कूल से दसवीं की परीक्षा में मैथ के विषय में फेल हुए हैं। दसवीं के मैथ के विषय में फेल विद्यार्थी आज विश्व विद्यालय धर्मशाला में प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुए हैं। सवाल यह खड़ा हुआ है कि 11वीं और 12वीं में बिना मैडिकल की पढ़ाई किए एक बागवानी व्यावसायिक कोर्स करने वाले को जुलॉजी के प्रोफेसर बना दिया है। विश्व विद्यालय की नियुक्तियों में यह सारा कमाल उन चयन कमेटियों के सदस्यों का है जो विश्व विद्यालयों के विभिन्न विषयों के प्रोफेसरों की स्कूटनि और इंटरव्यू की चयन प्रक्रिया में बैठे थे।
क्या विश्वविद्यालों और कॉलेजों में जूलॉजी और बॉटनी के प्रोफेसरों के लिए 11वी और 12वी में मैडिकल की पढ़ाई करना अनिवार्य नहीं?
यह भी है कि कमेटियों में उन लोगों को विषयों का एक्सपर्ट नियुक्त बनाया गया था जिन्होंने संबधित विषयों की मास्टर डिग्री की पढ़ाई ही नहीं की है। ऐसे में वह कैसे एक एक्सपर्ट की भूमिका निभा सकते हैं? स्कूटनि कमेटी के सदयों ने विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों की नियुक्तियों के लिए सबसे बड़ी योग्यत
1995 tromes Vocational Courses held in March September. sovt. Sc. Bec. achoul Krishne lager out. Karlare His/her achievement in the subjects
उच्च न्यायालय तक पहुंचे विश्वविद्यालय की फर्जी नियुक्तियों के मामले
केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला में छात्रों के भविष्य पर लटकी तलवार
हिमाचल प्रदेश बार्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन धर्मशाला से वर्ष 1993 में एक विद्यार्थी ने दसवीं की परीक्षा दी। उस विद्यार्थी ने अपनी दसवीं की परीक्षा में 700 में से 347 अंक प्राप्त कर तृतिया श्रेणी में दसवी की कक्षा पास की हुई है। इसके दौरान वे गणित में फेल हो
गए और 100 में से केवल 22 अंक हासिल किए। विद्यार्थियों को 11वीं में नॉन मेडिकल और मैडिकल के विषयों में दाखिला पाने के लिए 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करने अनिवार्य थे। दसवीं की परीक्षा में 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करने पर नॉन मेडिकल और मैडिकल विषय में 11 वीं में दाखिला दिया जाता था। 11वीं में मैडिकल और नॉन मेडिकल विषय पढ़ने वालों का गणित के विषय में पास होना अनिवार्य होता है। इसलिए, अपनी मैट्रिक के बाद, उन्होंने स्कूली शिक्षा बोर्ड धर्मशाला के उसी बैजनाथ के स्कूल से बागवानी में व्यावसायिक पाठ्यक्रम बहुत अच्छे नंबरों के साथ बागवानी व्यवसायिकी में दो वर्षों का कोर्स
पूरा किया हुआ है। इसके बाद उन्हें बीएससी
हॉर्टिकल्चर नौणी यूनिवर्सिटी सोलन में दाखिला
लिया। उन्होंने उसी विश्वविद्यालय से मास्टर और पीएचडी की डिग्री एटोमोलॉजी (कीट विज्ञान) और एपिकल्चर (मधुमक्खी पालन) में हासिल की हुई है। बिना मैडिकल में 12वीं पास किए ऐसे उम्मीदवार हिमाचल के स्कूल और कॉलेज स्तर पर जीव विज्ञान पढ़ाने के योग्य कैसे बन गए? केंद्रीय विश्व विद्यालय में जिस विषय के पद पर ऐसे लोगों को प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति दी हुई है वह विषय उन्होंने पढ़ा ही नहीं तो वह विद्यार्थियों को पढ़ाएंगे क्या? ऐसे में विश्व विद्यालय के विद्यार्थियों पर उनकी पढ़ाई को लेकर तलवार लटक चुकी है, अब विश्वविद्यालयों के लिए सहायक प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के लिए शॉर्टलिस्ट होने के लिए उम्मीदवारों के पास यूजीसी के मानदंडों के अनुसार, उम्मीदवार के पास संबंधित विषय में सहायक प्रोफेसर के लिए न्यूनतम मास्टर डिग्री होनी चाहिए जो इस मामले में जूलॉजी होनी चाहिए।
नोट: जब इस बारे में संबधित प्रोफेसर से वट्सऐप पर वार्तालाप हुई तो उन्होंने कहा कि उनकी नियुक्ति नियमों के अनुसार हुई है और यह है भी लिखा कि उनका एक भी दस्तावेज फर्जी पाए गए तो वे नौकरी छोड़ देंगे।
एबीवीपी संगठन से जुड़े हुए राष्ट्रीय और राज्य की जिम्मेवारी का निर्वाह करने वालों और उनके परिजनों के सदस्यों को पात्र घोषित कर अपात्र लोगों की नियुक्तियां की हुई है। विश्वविद्यालयों में अपात्र लोगों की नियुक्तियां एबीवीपी से जुड़े हुए लोगों को एहमियत दी गई है। पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की बीजेपी
कुर्सी की कश्मकश पकड़ रहीं जोर
प्रदेश सरकार ने मंडी सरदार पटेल
विश्वविद्यालय के कुलपति और
उपकुलपति की असाधारण छुट्टियां रह कर उन्हे उनके पद ग्रहण करने के आदेश जारी कर दिए है। कुलपति देवदत्त शर्मा ने सरदार पटेल विश्वविद्यालय से अपने पद से इस्तीफा दे कर सरकार द्वारा रद्द की हुई उनके असाधारण छुट्टियों का पालन कर मंडी सरदार पटले से चलाते गए हैं। लेकिन उपकुलपति डॉक्टर अनुपमा की छुट्टिय रह होने के बाद भी अभी मंडी सरदार पटेल विश्च विद्यालय में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारियों से मालूम हुआ है कि उपकुलपाति मंडी सरदार पटेल विश्वविद्यालय में बने रहने के लिए उच्च स्तरीय प्रयास करने में जुट चुकी है। देखना यह होगा कि उपकुलपति को प्रदेश सरकार के आदेशों को पालन करना पड़ता है या फिर उपकुलपति अपने प्रयासों पर कामयाब होकर अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब होंगे।
सरकार में जो सरकारी नौकरियों का गोरखधंधा फलता-फूलता रहा उसे दबाने का भरपूर प्रयास होता रहा। जाने-माने आरटीआई एक्टिविस्ट देवाशीष भटाचार्य और मंडी से बीजेपी के पूर्व मंडलाध्यक्ष विपिन गुलेरिया द्वारा फर्जी नियक्तियों को राज्य उच्च न्यायलय में अलग-अलग मामले पर केस फाईल कर दिए हैं।