एसपीयू मंडी को मिलेगा फरवरी माह में नया वीसी

मंडी सरदार पटेल विश्वविद्याल को फरवरी के तीसरे माह में नया वीसी मिलने की संभावना जताई जा रही है । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एसपीयू के ने वीसी का नाम लगभग तय हो चुका है कुछ  दिनों बाद मंडी एसपीयू में हिमाचल प्रदेश का अपना वीसी ज्वॉइन करने की संभावना वक्त की जा रही है।

सरदार पटेल विश्वविद्यालय के नए वीसी को आते ही कई मामलों पर गहराई से जांच पड़ताल करनी होगी और न्यायालय में लंबित फर्जी नियुक्तियों के मामलों पर भी सख्ती से कार्य करने होंगे ताकि आम जनता के जहन में शिक्षकों की फर्जी नियुक्तियों का मामला प्रदेश भर की जनता के दिलों को बार बार याद दिला रहा है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में अपात्र शिक्षकों से विद्यार्थियों की उच्च शिक्षा कैसे सफल हो पाएगी।

एसपीयू मंडी शुरू से ही किसी न किसी विवादों में चल रही है । विश्वविद्यालय के शिक्षकों और गैर शिक्षकों की फर्जी नियुतियों का मामला बड़े जोरोंशोरों से  चला हुआ है । प्रोफेसरों की नियुक्तियों के फर्जीवाड़े का मामला प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाय तक पहुंचा हुआ था । पीएमओ कार्यलय से पूर्व की बीजेपी सरकार के कार्यकाल में इसकी जांच के लिए लिखा  हुआ था लेकिन  जिस सरकार के कार्यकाल में पेपर लीक और विश्वविद्यालों में अपात्र लोगों को शिक्षक के पदों पर नियुक्ति दी जाती रही वहां जांच कैसे संभव हो सकती थी।

एसपीयू मंडी की  प्रतिकुलपति ने भी विश्वविद्यालय को काफी सुर्खियों में बनाए रखा है ।

एसपीयू के शिक्षकों द्वारा बायोमिट्रिक उपस्थिति दर्ज न करने के मामला में प्रति कुलपति की विडियो में जारी हुए बयान पर न्यायलय के आदेशों की अवमानना का मामला हो सकता था लेकिन मामला को बढ़ते हुए देख कर एसपीयू की प्रतिकुलपति और शिक्षकों द्वारा पहली फरवरी से अपनी उपस्थिति बायो मिट्रिक दर्ज करनी शुरू कर दी और एसपीयू के विताधिकारी द्वारा रोका हुआ वेतन 2 फरवरी 2024 को जारी करने की सूचना मिली है। लेकिन एसपीयू में अपात्र शिक्षकों तथा गैर शिक्षकों की फर्जीवाड़े का मामला उच्च न्यायलय में जनहित याचिका दर्ज हो चुकी है।  एसपीयू के 27 शिक्षकों तथा गैर शिक्षकों के नियुक्तियों का मामला  न्यायलय में विचाराधीन है।

मंडी सरदार पटेल विश्वविद्यालय पूर्व की बीजेपी सरकार के कार्यकाल में मंडी को मिला हुआ है ।  सरदार पटेल विश्वविद्यालय में हुई शिक्षकों और गैर शिक्षकों की भर्तियों का फर्जीवाड़ा एक आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा कर पूर्व की बीजेपी सरकार की कार्यप्रणाली का पर्दा फाश किया हुआ है।

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