सरकारी विभागों के आलाधिकारियों और कर्मचारियों को दिन में दो बार बायोमिट्रिक उपस्थिति दर्ज करना किया अनिवार्य
सुभाष ठाकुर*******
राजीतिक संरक्षण के चलते या प्रभावशाली पद पर कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को अपनी ड्यूटी से बंक मारना उच्च न्यायलय के आदेशों का पालन करते हुए राज्य सरकार ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की मुश्किल बढ़ा दी है।
राज्य उच्च न्यायलय के एक आदेश ने सरकार के कार्मिक विभाग ने सभी विभागों के सचिवों और बोर्ड निगमों के अध्यक्षों और उपाध्यक्षों को पर जारी कर सभी को बेयोमिट्रिक उपस्थिति दर्ज करने को सुनिश्चित कर दिया है।
जिसमें सभी आलाधिकारियों और कर्मचारियों को भी बायोमिट्रिक उपस्थित दर्ज कराना किया अनिवार्य किया है। बायोमिट्रिक उपस्थिति दर्ज किए बिना वेतन जारी करने वाले अधिकारी की मुश्किलें बड़ सकती है। क्योंकि राज्य उच्च न्यायलय द्वारा विपिन गुलेरिया की एक याचिका के आदेश में सपष्ट किया है कि बायोमिट्रिक उपस्तिथि दिन में दो बार दर्ज करना कर्मचारियों और अधिकारियों को अनिवार्य किया गया है।
, राज्य उच्च न्यायालय के आदेशों ने ऐसे उन सभी कर्मचारी नेताओं की मुश्किलें बढ़ाई हुई है जो अपने जिस पद पर सरकार के जिस विभाग में कार्यरत हैं वहां पर अपनी सेवाएं नही दे पाते हैं क्योंकि उन्हें अपने कर्मचारियों की समस्याओं तथा अपनी राजनितिक रोटियां सेंकने के लिए सचिवालयों में मंत्रियों के कार्यलय में पहुंच कर अपने ही अकाधिकारियों को मंत्रियों के फोन करवाकर अपनी राजनितिक रोटियों की पौष्टिकता का प्रभाव दिखाते रहते हैं ।
माननीय राज्य उच्च न्यायलय द्वारा विपिन गुलेरिया द्वारा की हुई याचिका पर आदेश देते हुए बायोमिट्रिक उपस्थिति दर्ज करना अनिवार्य कर दिया हुआ है।
माननीय राज्य उच्च न्यायलय के आदेशों का पहला परिणाम मंडी की सरदार पटेल विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों के वेतन पर लगाई हुई रोक पर देखने को मिला । जब तक एसपीयू मंडी के प्रोफेसरों द्वारा बायोमिट्रिक उपस्थिति दर्ज नहीं की गई तब तक वेतन पर रोक लगाई गई । बायोमिट्रिक उपस्थिति दर्ज करने के बाद ही वेतन की एसपीयू के रजिस्ट्रार तथा विताधिकारी द्वारा जारी किया गया।
अन्य विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों में भी बायोमिट्रिक दिन में दो बार लगानी शुरू कर दी है । बिना बायोमिट्रिक उपस्थिति दर्ज किए बिना किसी कर्मचारी और अधिकारियों का वेतन जारी करने पर उच्च न्यायलय के आदेशों की अवमानना का मामला भविष्य में दर्ज होने की आशंका जताई जा रही है।
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राज्य उच्च न्यायलय द्वारा स्पष्ट किया
डॉ. यशवन्त सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, सोलन ने दिनांक 08.01.2020 के फैसले के स्पष्टीकरण की मांग करते हुए यह आवेदन दायर किया था । न्यायलय द्वारा हिमाचल प्रदेश राज्य के सभी कॉलेजों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को चिह्नित करने का निर्देश दिया गया था।
न्यायालय केनिर्णय में निहित निर्देश अपने दायरे और दायरे में बिल्कुल स्पष्ट हैं और इसलिए, किसी भी स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है। न्यायलय द्वारा यह भी लिखा है केवल यह तथ्य कि विश्वविद्यालय एक स्वायत्त निकाय है। हिमाचल प्रदेश राज्य के अन्य कॉलेजों की तुलना में किसी भी बड़े या उच्चतर अधिकार का दावा नहीं कर सकता है । जहां तक यह बायोमेट्रिक प्रणाली के माध्यम से उपस्थिति को चिह्नित करने से संबंधित है।
तदनुसार न्यायलय द्वारा याचिकाकर्ता के आवेदन को यह दोहराते हुए निस्तारित कर दिया गया।
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सरकार के सभी विभागीय सचिवों, बोर्डों तथा निगमों के अध्यक्षों कार्मिक विभाग द्वारा बायोमिट्रिक उपस्थिति दर्ज करने के दिए सख्ती से आदेश
फ़ाइल संख्या Pert(AR)A(3)-1/2023 कार्मिक प्रशासनिक सुधार संगठन विभाग हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा सभी विभागों के मुख्य सचिवों तथा बोर्ड व निगमों के अध्यक्षों उपाध्यकों को पत्र जारी कर सरकार के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को बायोमिट्रिक उपस्थिति दर्ज करने के कार्मिक विभाग द्वारा उच्च न्यायलय के आदेशों का पालन करने को सख्ती से आदेश जारी कर दिए हैं।