कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला के नेतृत्व में हुई राज्यसभा सीट पर हार, आगामी लोकसभा चुनावों में भी पड़ेगा असर

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हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की व्यवस्था परिवर्तन करने वाली कांग्रेस सरकार के 40 विधायकों की संख्या होने के बावजूद भी ऐसी व्यवस्था पहली बार देखा गई कि हिमाचल की एक राज्यसभा के चुनावों में बीजेपी के 25 विधायकों के साथ बाजी मार कर अपने उम्मीदवार हर्षमहाजन को राज्यसभा भेजने में कामयाब रही। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की व्यवस्था परिवर्तन को अव्यवस्था परिवर्तित कर उनके नेतृत्व को राज्यसभा चुनावों में फेल कर डाला है ।

हिमाचल प्रदेश की राजनीति में भूचाल लाने वाले कांग्रेस के छह बागी विधायकों पर स्पीकर कुलदीप पठानिया ने 29 फरवरी 2024 गुरुवार को अपना फैसला सुना । लेकिन मामले को न्यायालय में चुनौती दी जाने की विधायकों द्वारा कहीं गई है। कांग्रेस के सभी छह बागी विधायकों सुधीर शर्मा (धर्मशाला) राजिंदर राणा (सुजानपुर), इंद्र दत्त लखनपाल (बड़सर), रवि ठाकुर (लाहौल स्फीति), चैतन्य शर्मा (गगरेट), देविंदर भुट्टो (कुटलेहर) की सदस्यता खत्म कर दी गई है। स्पीकर कुलदीप पठानिया ने कहा कि पार्टी व्हिप के उल्लंघन की वजह से उन पर दलबदल विरोधी कानून का प्रावधान लागू होता है । जबकि चर्चा यह है कि राज्यसभा चुनाव में व्हिप लागू नहीं होता है।

कांग्रेस के छः विधायकों द्वारा राज्यसभा उम्मीदवार के लिए हिमाचल के वरिष्ठ नेता को अपना वोट दे कर हिमाचल की पैरवी कर प्रदेश की सियासत में जबरदस्त उबाल मार डाला है।

हिमाचल का नेतृत्व किसी बाहरी राज्य के नेता को सौंपने का विरोध हिमाचल की जनता द्वारा सोशल मिडिया में देख कर कांग्रेस के कई विधायकों ने भी हिमाचल के हितों की पैरवी करने का फैसला किया हुआ था लेकिन बाद में छः विधायकों ने अपने दिल की आवाज के। साथ अपना मत हिमाचली नेता के पक्ष में दे कर अपनी ही कांग्रेस सरकार में हलचल मचा दी।

कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व का थिंक टैंक भी समझ नही पाया। कांग्रेस का थिंक टैंक धरातल की नब्ज टटोलने में असफल हुए हैं । कांग्रेस थिंक टैंक की भूमिका का रोल अदा करने वाले भला कैसे पार्टी कार्यकताओं की भावनाओं को समझ सकते हैं। उनके वीवीआईपी कल्चर के जीवन को हवा और मिट्टी न लग पाए।

हिमाचल कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला हिमाचल में समय ही नही दे पाते हैं। राजीव शुक्ला को वैसे भी हिमाचल कांग्रेस सरकार के अधिकांश मंत्री ,विधायक और पूर्व पूर्व मंत्री तथा कांग्रेस नेताओं द्वारा उनका कई बार विरोध किया गया लेकिन कांग्रेस हाईकमान द्वारा राजीव शुक्ला को हिमाचल प्रदेश कांग्रेस का फिर से प्रभारी नियुत्त कर कांग्रेस को कमजोर कर डाला है और राज्य में पार्टी नेताओं की गुटबाजी को तरजीह मिलती रही जिसका खामियाजा राज्यसभा चुनावों में ही नही आगामी लोकसभा चुनावों में भी देखने को मिलेगा। क्योंकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला द्वारा हिमाचल प्रदेश की कई वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री ठाकुर कौल सिंह ,पूर्व मंत्री आशा कुमारी, पूर्व मंत्री राम लाल ठाकुर, पूर्व मंत्री गंगू राम मुसाफिर, जैसे दर्जनों वरिष्ठ नेताओं को हाशिए पर लगाने का खामियाजा पार्टी पर भारी पड़ता जा रहा है जिसकी पहली किश्त राज्यसभा चुनावों में देखा गया।

राजीव शुक्ला हिमाचल के चंद नेताओं की पहूंच जिनका आधार उनकी विधानसभा क्षेत्रों में भी नही ऐसे नेताओं की रिपोर्ट से पार्टी हाईकमान को प्रदेश की सियासी रिपोर्ट दिखा कर अपनी राजनितिक रोटियां सेंकी जा रही है और पार्टी को सत्ता में होते हुए भी अपने विधायकों को संभाल नही पाए। राजीव शुक्ला जब तक हिमाचल के प्रभारी होंगे आगामी चुनाव ऐसे ही कांग्रेस के हाथों में हार लगने की चर्चा चली हुई है।

राजीव शुक्ला के नेतृत्व में ही राज्यसभा सांसद हर्षमहाज़न कांग्रेस को छोड़ कर बीजेपी में गए हैं क्योंकि हर्ष महाजन जैसे वरिष्ठ नेताओं द्वारा राजीव शुक्ला का उस वक्त भी उनकी कार्यप्रणाली पर निराशा दिखाते हुए बीजेपी का हाथ थामा था।

बीजेपी नेता हर्ष महाजन को कांग्रेस के छः विधायकों तथा तीन निर्दलीय विधायकों व बीजेपी के अपने 25 विधायकों द्वारा हिमाचल की पैरवी कर हिमाचल की एक आवाज को राज्यसभा भेजा गया है । जिसकी हिमाचल की जनता में भी खूब तारीफ की जाने लगी है, और कांग्रेस के खिलाफ हिमाचल प्रदेश में आमजनता का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है।

हिमाचल में कांग्रेस की आपसी जंग को जल्द शांत नही किया गया तो मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की मुश्किलें कम नही होने वाली।

आगामी लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस कार्यकर्ता घर में इस लिए दुबके हुए हैं ।

क्योंकि कांग्रेस सरकार में आम कांग्रेसियों के ही नही बल्कि कांग्रेस नेताओं के कार्य तक नही हो रहे हैं ।

हिमाचल की कांग्रेस सरकार में जब बीजेपी नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं के काम आसानी से करके कांग्रेसियों को सत्या जाता रहेगा तो आगामी लोकसभा चुनावी परिणाम भी वैसे ही रहेंगे जैसे राज्यसभा की एक सीट में देखने को मिले जिसका खुलासा अमर ज्वाला ने एक माह पूर्व कर चुकी थी।

 

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कांग्रेस के छः विधायकों द्वारा बीजेपी के उम्मीदवार हर्षमहाजन को राज्यसभा के लिए अपना वोट दे कर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह की सत्ता पर राज्यसभा के बाहरी उम्मीदवार का ग्रहण लगा कर हिमाचल की सियासत में असफलता का इतिहास लिख डाला है।

हिमाचल की सियासत में ऐसा पहली बार किसी राज्यसभा उम्मीदवार के चुनाव में घटित हुआ है कि 40 विधायकों वाले बहुमत पार्टी के दल को 25 विधायकों बालों ने पटकनी दी गई हो।

राज्यसभा के इस घटना क्रम में पूरे वन ग्रहों की तथा छः कांग्रेस के विधायकों तथा तीन निर्दलीय विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सत्ता पर ग्रहण लगा दिया है।

नव ग्रहों की तरह यह नौ विधायकों की आगामी चाल अभी थमी नहीं हुई है आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सत्ता की ओर मुश्किलें बढ़ सकती है । मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के चार मंत्री ,लोकनिर्माण मंत्री, शिक्षा मंत्री ,पंचायती राज मंत्री , और उद्योग मंत्री भी मुख्यमंत्री की कार्यशैली से नाराज चल रहे हैं। एक चपरासी का तबादला करवाने के लिए तथा विकास कार्यों का शिलान्यास करवाने के लिए भी मुख्यमंत्री कार्यलय से अधिकारियों को नोटिस थमाया जाता रहा हैं । जिसके चकते यह मंत्री मुख्यमंत्री से काफी महीनों से नाराज चल रहे थे। राज्यसभा चुनावों में 13 कांग्रेस विधायकों का हिमाचल के बीजेपी उम्मीदवार हर्षमजाहन को वोट देना तय बताया जा रहा था लेकिन 13 विधायकों द्वारा नही बल्कि छः विधायकों द्वारा अपनी ही कांग्रेस पार्टी के बाहरी उम्मीदवार को हिमाचल की सियासत का रंग भी खूब छकाया कि हिमाचली अपने अपने राज्य के लिए हर कुरवानीदें सकते हैं।

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