***विश्व जल दिवस मात्र कागजी शब्द बन कर रहा,
***मंडी में जगह जगह पानी की लीकेज से हजारों लीटर पानी प्रति दिन हो रहा बरबाद।
सुभाष ठाकुर*******
विश्व जल दिवस 22 मार्च को उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने प्रदेश की आमजनता से अपील की हुई है कि पानी की एक एक बूंद बचाई जाए। यह जरूरी भी है कि गलोबल वार्मिंग के भयानक परिणामों के चलते हमारी पृथ्वी में पेय जल का संकट भी बढ़ता ही जा रहा है। उपमुख्यमंत्री ने अपने फेसबुक पेज पर एक डिजाइन कर पोस्ट भी किया हुआ है।
विश्व जल दिवस का यह शब्द विभागीय फाइलों तक सीमित और कागजी शब्द बन कर रहा है । क्योंकि मंडी के जलशक्ति विभाग के लिए यह विश्व जल दिवस की अपील से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है ।मंडी नगर निगम में जगह जगह पेय जल की लिकेज से हजारों लीटर पानी बरबाद हो रहा है। लोगों द्वारा बार बार शिकायत हर रोज की जा रही है लेकिन विभाग के अधिकारियों से लिकेज ठीक करने में कई कई महीने लगाए जा रहे हैं। विश्व जल दिवस की यह अपील सबसे पहले मंडी के जल शक्ति विभाग को अमल में लानी होगी।
मंडी में जलशक्ति विभाग के अधिकारियों को बार बार कई महीनों से अवगत करवाने के बाद भी मंडी नगर निगम के वार्ड नंबर 6 सन्यार्डी में पेय जल सप्लाई के दौरान पानी की लिकेज घर में हो रही है । जिससे कई घरों को खतरा बना हुआ है।बरसात आने से पहले पानी की लिकेज ठीक नही की गई तो उन घरों के लिए खतरा बना रहेगा।विभाग को प्रतिदिन अवगत करवाने के बाद भी पानी की लिकेज बंद नही हो पा रही है। यह मामला उपमुख्यमंत्री के ध्यान में भी लाया गया है । उपमुख्यमंत्री ने अधिकारियों को तुरंत ठीक करने के आदेश भी दिए हुए हैं। लेकिन विभाग के अधिकारी उपमुख्यमंत्री को अब गलत रिपोटिंग कर मामले को दबाना चाह रहे हैं। विभाग द्वारा खुद लिकेज पानी की टेस्ट रिपोर्ट भेजी की यह लेकिज किसी कुदरती पानी का बहाव है , जब मालूम हुआ कि यहां कोई कुदरती पानी नही जब इस क्षेत्र में पानी की सप्लाई छोड़ी जाती है तभी यह पानी की लिकेज होती है। वैसे पानी की सप्लाई बंद की जाती है तो कुछ ही घंटे के बाद पानी की लिकेज भी बंद हो जाती है। विभाग द्वारा पानी की लिकेज के लिए कुछ दिन खुदाई भी की गई लेकिन पानी की लीकेज को खोज नही पाए।
मामला यह है कि मंडी शहर के लिए व्यास नदी का पानी ग्रेविटी द्वारा बड़ी पाईप लाईन के साथ मंडी में लाया गया है । योजना मंडी शहर को 24 घंटे पानी की सप्लाई देने का था। लक्ष्य के साथ योजना का कार्य जिस डीपीआर के आधार पर कार्य किया जाना था विभाग के अधिकारियों द्वारा डीपीआर के मुताबिक कार्य नही किया गया , डीपीआर में दबाव तब किया गया जब योजना का आधा से ज्यादा कार्य हो चुका था यह आरोप मंडी सदर के विधायक अनिल शर्मा द्वारा प्रेस वार्ता के दौरान लगाए हुए हैं।
योजना का लक्ष्य यह था कि सभी घरों को इस योजना से पेय जल की सप्लाई दी जाएगी। जब नई योजना की पेय जल सप्लाई हर घर को दी गई तो योजना भी नई पाईप लाईन से ही पानी की सप्लाई होनी चाहिएं थी। फिर नई पाईप लाईन की पेय जल की सप्लाई पुरानी पाईप लाईन में दी गई नई पाईप लाईन का पैसा कितना बचाया गया । जब योजना 80 करोड़ रुपए की थी तो यह बजट से अधिक भी खर्च हुआ और शहर की पुरानी पाईप लाइनों में यह सप्लाई दे कर मंडी नगर निगम में हो रही लिकेज से जलशक्ति विभाग द्वारा दल दल बनाने की ओर बड़ रहा है। इस योजना की आज भी बड़ी जांच एजेंसियों से जांच करवाई जाए तो मालूम होगा कि नई योजना के नाम मंडी शहर में कई क्षेत्रों में पुरानी पाईप लाईन के माध्यम से भी इस योजना की पेय जल सप्लाई दी गई है। जिसके कारण मंडी नगर निगम में पुरानी पाइपों से पानी की लिकेज के मामले बढ़ते जा रहे हैं।
विभाग के अधिकारी लिकेज को कभी सिवरेज का बता कर मामला नगर निगम के नाम पला झाड़ रहे है। तो कभी बोला जा रहा है काम लगा हुआ है।
विभाग द्वारा टेस्ट किया तो कहा कि यह सिवरेज की लिकेज बता कर विभाग खुद इस लिकेज से किनारा करना चाहता है । जबकि यह पानी की लिकेज पेय जल की सप्लाई की बहाली के दौरान ही लिकेज होती है।
सिवरेज की लिकेज और पेय जल की लिकेज जलशक्ति विभाग को ही ठीक करने की जिम्मेवारी है क्योंकि पेय जल का बिल और सिवरेज का बिल जलशक्ति विभाग को ही इस क्षेत्र के उपभोक्ता जमा कर रहे है।
उपमुख्यमंत्री ने जलशक्ति विभाग के अधिकारियों को सख्ती से भी बोला हुआ है लेकिन विभाग को पानी की एक लीकेज कई महीनों से नही खोजी जा रही
है।