
सुभाष ठाकुर*******
मंडी जिला का ऐतिहासिक धार्मिक पर्यटन स्थल पर्यटकों को सबसे अधिक आकर्षित करने वाला पराशर की दोनों तरफ की पहाड़ी दरकने का बड़ा खतरा बरकर बना हुआ है।
द्रंग विधानसभा क्षेत्र की कालांग , शेगली , कटौला तथा कमांद पंचायत वासियों की मुश्किलें पराशर की दरकी हुई पहाड़ी से बना हुआ है।
वर्ष 2023 में बरसात ने जो आपदा का मंजर बरपाया , उसमें पराशर की पहाड़ी ने सैकड़ों करोड़ों रुपए की क्षति कर चुका है।
शेगली पंचायत के अंतर्गत आने वाले नाले ने करोड़ों रुपए की क्षति की हुई है उसी के साथ साथ कई इंसानी जिंदगियों को लील चुका है।
बीते वर्ष भारी बरसात में भी शेगली नाले में बनाया हुआ 5 करोड़ रुपए का पुल, शेगली स्कूल, कई घरों तथा इंसानी जिंदगियों को अपने भयंकर मंजर का शिकार बना चुका है।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि बरसात से पहले शेगली पंचायत के कुछ गांव को खाली कर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाए। क्योंकि पराशर की पहाड़ी में बहुत बड़ी दरार तो पड़ी हुई है जो भारी बारिश में रुकने का नाम नहीं ले रही है। साथ ही साथ पहाड़ी के दोनों तरफ में भी बहुत ज्यादा पहाड़ी का कटान होना शुरू हो चुका है। जिसके चलते कालांग ,कलवाड़, मंडाह नाला के इर्दगिर्द घरों नन्हनी , बागी गांव को हमेशा के लिए खतरा बना हुआ है।
सरकार और प्रशासन को समय रहते इन सभी गांव वासियों को बरसात से पहले सुरक्षित स्थान पर भेजना होगा । पराशर की दोनों तरफ की दरकती पहाड़ी ने अपना रुख साफ किया हुआ है कि बारिश होते ही पहाड़ी का दरकना रुकने का नाम नहीं ले रहा है। जिससे धार्मिक पर्यटक स्थल पराशर में भी खतरा बना रहेगा।
पहाड़ी यूं ही दरकती रही तो भविष्य में पराशर ऋषि का मंदिर और झील के लिए भी खतरा बना हुआ है। पराशर झील की गहराई कितनी है किसी को कोई अंदाजा नहीं है क्योंकि झील के पानी का रिसाव अगर दरकती हुई पहाड़ी की तरफ शुरू हुआ तो मंजर बहुत ही भयानक देखने को मिल सकता है ।
पहाड़ी के हो रहे कटान को रोकना बेहद जरूरी है जिससे धार्मिक पर्यटन स्थल का अस्तित्व बच सके। यह पहाड़ी के दरकने से शेगली नाला में भयंकर बाढ़ की स्थिति बनने से कई बार ताबही का मंजर देखने को मिल चुका है । जब जब पराशर की पहाड़ी में भारी बारिश होती है नीचे कई गांवों में खतरा बना रहेगा ।
