अगस्त 2024 से शुरू होगा पहला बैच
आवेदन करने की अंतिम तिथि 15 जुलाई 2024 है
अमर ज्वाला//मंडी
संगीत, स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी के बीच तालमेल बिठाकर व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों तरह की खुशहाली में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की जा सकती है। इसी क्षमता को पहचानते हुए, IIT Mandi के सेंटर फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम एन्ड मेन्टल हेल्थ एप्लीकेशन (IKSHMA) संगीत और संगीत चिकित्सा (Music and Musopathy) में अद्वितीय एम.एस. (बाय रिसर्च) और पीएच.डी. कार्यक्रम शुरू कर रहा है।
इन कार्यक्रमों के लिए ऑनलाइन आवेदन 15 जुलाई 2024 तक स्वीकार किए जा रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया यहां जाएं: https://iksmha.iitmandi.ac.in/musopathy.php
यह पहल अंतःविषयी शिक्षा को बढ़ावा देने और भारतीय संगीत के सम्मानित क्षेत्र तथा तेजी से विकसित हो रहे संगीत चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। यह कार्यक्रम पूर्णकालिक और अंशकालिक दोनों छात्रों के लिए खुला है और योग्य उम्मीदवार कहीं से भी लाइव, ऑनलाइन या हाइब्रिड प्रारूप में इसका अध्ययन कर सकते हैं।
इस नए कार्यक्रम के बारे में बोलते हुए, IIT Mandi के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहेरा ने कहा, “आईआईटी मंडी भारतीय ज्ञान प्रणाली से संबंधित विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ाने के लिए समर्पित है। संगीत और संगीत और संगीत चिकित्सा (Music and Musopathy) में एम.एस. और डॉ. फिलोसफी कार्यक्रम इस प्रयास में एक और महत्वपूर्ण कदम हैं। यह कार्यक्रम न केवल भारतीय संगीत के विज्ञान की खोज करेगा, बल्कि मन, शरीर, और चेतना के समग्र विकास के लिए इसके चिकित्सीय मूल्य को भी उजागर करेगा।”
संगीत और संगीत चिकित्सा (म्यूसोपैथी) में एम.एस. और पीएच.डी. कार्यक्रम शोध आधारित होते हैं, जिनका उद्देश्य उच्च कुशल पेशेवरों और शोधकर्ताओं को तैयार करना होता है जो संगीत के विकास और समझ में सार्थक योगदान दे सकें और व्यक्तियों और समाज पर इसके लाभकारी प्रभावों को समझ सकें, जिसमें म्यूसोपैथी का कल्याण केंद्रित क्षेत्र भी शामिल है।
यह कार्यक्रम संगीत और संगीत चिकित्सा के बारे में गहन अध्ययन हैं। इन कार्यक्रमों को करने के बाद, आप ऐसे विशेषज्ञ बन सकते हैं जो संगीत के क्षेत्र में अनुसंधान कर सकते हैं और यह बता सकते हैं कि संगीत का लोगों के स्वास्थ्य और समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है।
प्रमुख सलाहकार: संगीत, नृत्य और विज्ञान के महानायक इस तरह के पहले कार्यक्रम में एकत्र हुए हैं। पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित डॉ. सोनल मानसिंह; कनाडा के यॉर्क विश्वविद्यालय के माननीय प्राध्यापक एवं ताल विशेषज्ञ प्रो. त्रिची संकरन; आईआईएस्सी बैंगलोर के प्राध्यापक तथा प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. गौतम देसिराजू, शामिल हैं।
श्री चित्रवीणा एन. रविकिरण ने अग्रणी संगीत शिक्षा पोर्टल Acharyanet.com के सहयोग से इस प्रोग्राम के कुछ हिस्से को
डिज़ाइन किया है।
Acharyanet.com की संस्थापक और सीईओ सौम्या आचार्य ने आईआईटी मंडी के साथ सहयोग पर अपनी उत्सुकता व्यक्त करते हुए कहा, “कला और विज्ञान, कल्याण और स्वास्थ्य के पहलुओं को जोड़ने वाले इस अनोखे कार्यक्रम में आईआईटी मंडी जैसे एक प्रमुख संस्थान के साथ सहयोगात्मक कार्य करना हमारे लिए सम्मान की बात है।”
यह कार्यक्रम संगीत और म्यूजोपैथी (मानसिक स्वास्थ्य पर संगीत का प्रभाव) की बुनियादी, मध्यम और उन्नत सीखने का मजबूत आधार देता है, साथ ही IKSMHA केंद्र के ज्ञान को भी शामिल करता है।
इस कार्यक्रम को पूरा करने वाले लोगों को कई क्षेत्रों में काम करने के अच्छे अवसर मिलेंगे, जैसे कि शास्त्रीय, लोकप्रिय और फिल्मी संगीत उद्योग, संगीत रिकॉर्डिंग और निर्माण में विशेषज्ञता, शोध संस्थान, शिक्षा जगत, और स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती क्षेत्र। इस कोर्स में टेक्नोलॉजी, संगीत और चिकित्सा का समावेश करके, विभिन्न क्षेत्रों में नई चीजें करने और नेतृत्व करने के लिए जरूरी समग्र कौशल विकसित किए जाते हैं।
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आईकेएसएमएचए केंद्र के बारे में:
आईआईटी मंडी में स्थापित आईकेएसएमएचए केंद्र 2022 में स्थापित किया गया था। इसका नेतृत्व माननीय निदेशक प्रोफेसर लक्ष्मीधर बेहरा कर रहे हैं। यह केंद्र शरीर, मन और चेतना के आपसी संबंधों को समझने के लिए वैज्ञानिक शोध और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करता है। यह समझ भारत की ज्ञान प्रणाली पर आधारित है, जिसका मानव शरीर, मानसिक स्वास्थ्य और समग्रता पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
केंद्र में होने वाला शोध और शिक्षा योग, ध्यान, आयुर्वेद, पारंपरिक भारतीय चिकित्सा अनुसंधान, भारतीय प्रदर्शन कला आदि जैसे क्षेत्रों को शामिल करता है। यह शोध विभिन्न क्षेत्रों के वैज्ञानिक तरीकों पर आधारित है, जिनमें संज्ञानात्मक विज्ञान, तंत्रिका विज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता / मशीन लर्निंग, भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और प्रयोग डिजाइन आदि शामिल हैं।