धन्नासेठोंं के करोड़ों रूपये में गुलाम होती छोटी काशी की शान इंदिरा मार्केट की दुकानें! 

व्यवसाय के लिए लीज एग्रीमेंट पर आवंटित हुई दुकानें लाखों रुपए की नकदी में कैसे हुई सबलैटिंग ?

सुभाष ठाकुर*******

छोटी काशी मंडी शहर की सुंदरता पर चार चांद लगाने का काम इंदिरा मार्केट ने किया है। मंडी शहर की यह खूब सूरत इंदिरा मार्केट पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री स्वर्गीय पंडित सुखराम द्वारा अपने गृह मंडी शहर के लिए खूबसूरत विकास मॉडल स्थापित किया हुआ है। इंदिरा मार्केट मंडी शहर की शान मानी जाती है। शहर के बीच में इंदिरा मार्केट के बीच में घंटा घर है। घंटा घर के चारों तरफ दो मंजिला इंदिरा मार्केट का निर्माण हुआ है। मंडी शहर के बीच सेरी मंच के दोनों तरफ कच्चे खोखों में अपना व्यवसाय कर रहे दुकानदारों को 1993 में इंदिरा मार्केट की कई दुकानें लीज एग्रीमेंट जिसमें 5.5 रूपये स्क्वायर फुट किराए पर प्रदेश सरकार के कैबिनेट निर्णय से आवंटित हुई है। लेकिन राज्य सरकार के कैबिनेट फैसले को मंडी नगर परिषद ने पूर्व में बदल डाला। 

जिसकी चर्चा अब मंडी नगर निगम स्थापित होने के बाद जोर पकडऩे लगा है कि इंदिरा मार्केट की दुकानें चंद धन्नासेठों की तिजोरियों की गुलाम बनती जा रही है। धनसेठों द्वारा करोड़ों रूपए की आकर विभाग को भी भरकम चूना लगाया गया है। इंदिरा मार्केट की 236 दुकानों में से 58 दुकानें नगर निगम मंडी की सूची में शामिल दिखाई गई है। जबकि सबलैटिग हुई 58 दुकानों का मामला नगर निगम के ध्यान में आया हुआ है। कुछ दुकानों की सबलैटिंग पर बिजलैंस की जांच भी चली हुई बताई जा रही है। मंडी जिले के कुछ समाज सेवियों द्वारा सरकार से मांग की जा रही है कि सबलैटिंग दुकानों के मामले की राज्य के सभी नगर निगम, नगर परिषद तथा नगर पंचायतों की सरकारी संपतियों की सबलैटिंग की जांच सीबीआई तथा बिजलेंस से करवाई जाए तो अरबों रुपए के आयकर चोरी व गैरकानूनी तरीके से लीज एग्रीमेंट पर सबलेटिंग कैसे हुई?

अमर ज्वाला ने जब एक आयकर उपायुक्त से इस मामले में जानना चाह तो उन्होंने कहा कि आयकर प्रावधान है कि जिन्होंने ने भी 2 लाख से अधिक नकदी का लेन देन किया गया होगा तो दोनों तरफ से 100 प्रतिशत वसूली करने का प्रावधान नियमों में है। यह भी कहा कि 2 लाख का मामला हो या 2 करोड़ का हो मामले से संबंधित कुछ दस्तावेज विभाग को प्राप्त होते हैं तो विक्रेता और खरीददार से सो फीसदी वसूली तो होगी साथ में आयकर के अन्य नियमों का भी सामना करना पड़ेगा इंदिरा मार्केट की सबलैटिंग हुई दुकानों का किराया कौन दे रहा है किसके नाम रसीदें काटी जा रही है क्या राज्य सरकार द्वारा उन्हें वह दुकानें आवंटित की हुई है या नही मामले की गंभीरता से जांच एजेंसियों द्वारा जांच करने पर ही मालूम होगा। पुख्ता सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि इंदिरा मार्केट में 25 लाख से 80 लाख रुपए तक नकदी कैश से दुकानों सबलैटिंग हुई बताई गई है। सबलैटिंग नकदी होने पर आयकर का मामला भी संगीन होता जा रहा है।

मंडी नगर निगम सबलैटिंग दुकानों की जांच के लिए अपना रुख साफ कर चुका है। बढ़ती बेरोजगारी को कम करने के लिए बेरोजगारों को वो दुकानें आवंटित होनी चाहिए, कोई दुकानदार नगर निगम, नगर परिषद तथा नगर पंचायतों की खाली दुकान या फिर कोई दुकानदार अपना व्यवसाय बंद कर रहा हो। वैसी दुकानें धन्नासेठों को नहीं बल्कि बेरोजगारों को वह दुकानें आवंटित होनी चाहिए थी। राज्य सरकार को चाहिए कि मामले की सीबीआई जांच करवा कर धन्नासेठों द्वारा गैरकानूनी तरीके से सबलैटिंग कैसे हुई और नगर परिषद द्वारा राज्य सरकार के कैबिन निर्णय को किन नियमों के तहत बदल कर लीज एग्रीमेंट को सबलैटिंग एग्रीमेंट हस्ताक्षर कैसे किया गया? एक ही परिवार को इंदिरा मार्केट की 5 से 6 दुकानें खरीदी जा चुकी है।

इंदिरा मार्केट की आवंटित दुकानें व 90 के दशक के दौरान शहर के स्थानीय व्यवसाय करने वाले लोगों को आवंटित हुई है। मंडी नगर निगम की सूची में इंदिरा मार्केट की कुल 236 दुकानें वर्तमान में शामिल है। जिस पर मंडी के चंद धन्नासेठों की गिद्ध नजर लग चुकी है। मंडी शहर के पूर्व में नगर परिषद के कार्यकाल के दौरान खूब खेल खेला गया है। इंदिरा मार्केट की दुकानों का आवंटन राज्य सरकार के कैबिनेट निर्णय से आवंटित दुकानों को नगर परिषद द्वारा सबलैटिंग हुई दुकानों को धन्नासेठों के परिवार के सदस्यों व रिश्तेदारों के नाम कैसे एग्रीमेंट बनाया गया ? नगर निगम मंडी तथा शहर के अनेकों लोगों द्वारा खुली जुवान से सुना जा सकता है, कि 25 लाख से 80 लाख रुपए तक एक एक दुकान को पहले सबलैटिंग किया गया है। फिर नगर परिषद ने दुकानों के किराए को निर्धारित स्क्ेवयर फुट के हिसाब से कुछ हजार रुपए लेकर सबलैटिंग दुकानों को धनासेठों के नाम एग्रीमेंट बना डाला है।

क्या बोले नगर निगम मंडी आयुक्त ?

नगर निगम आयुक्त एच एस राणा ने कहा है कि इंदिरा मार्केट नगर निगम की दुकानों की सबलैटिंग का मामला उनके ध्यान में पहुंचा हुआ है। उन्होंने कहा कि कुल 58 दुकानों की सबलैटिंग की सूची अभी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि मामला बेहद गंभीर है। उन से पूछा गया कि क्या आवंटित दूकानों की दुकानदार सबलैटिंग कर सकता है? जबाव में नगर निगम मंडी ने साफ कहा है कि लीज एग्रीमेंट पर सबलैटिंग           लीज एग्रीमेंट कैसे हो सकता है मामले की सख्ती से जांच की जाएगी। 

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