*** पक्की सड़कों में पड़े गढ़े ही गढ़े, लोकनिर्माण विभाग नहीं ले रहा डायना पार्क से बल्ह रोड की कोई सुध
***घाटी की जनता को अपनी जान हथेली पर रख कर भी बसों में सफर करने को मजबूर
***बीच सड़क में बसों के टायर पंक्चर , कई किलोमीटर का पैदल सफर करने को मजबूर
सुभाष ठाकुर*******
विकास के महत्व का दूरगामी परिणाम क्या होगा ? जिन्हें विकास के मायनों की सोच और परख नहीं वह आम जनता के हितों की चिंता कभी नहीं कर सकते हैं । यही स्थिति आए दिन मंडी जिले की दुर्गम क्षेत्र चौहार घाटी की जनता को झेलना पड़ रही है।
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होते हुए भी द्रंग विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों में विराम लग चुका है।
द्रंग में दो बार जनता ने बीजेपी के विधायकों को विकास के लिए नहीं बल्कि उन्हें पेंशन लगाने के मुद्दे से चुना हुआ है ।
जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री ठाकुर कौल सिंह को हार का सामना बीजेपी नेताओं से नहीं बल्कि अपने ही चेलों से तब करना पड़ा जब प्रदेश में कौल सिंह ठाकुर के नाम की चर्चा मुख्यमंत्री बनने की शुरू होने लगी थी।
द्रंग विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान नेताओं में विकास के महत्व को प्राथमिकता देने वाली सोच और क्षमता नहीं देखने को मिल रही है। बल्कि स्वार्थ की सियासी रोटियां सेंकने की आपसी प्रतिस्पर्धा खूब देखने को मिल रही है। कर्मचारियों के तबादले करवाना ही उन नेताओं को विकास कार्यों की महारथ हासिल बताई जा रही है ।
आम जनता को होने वाली परेशानियों का कैसे समाधान करना है दूर दूर तक किसी के कदम नहीं उठ रहे हैं।
बीजेपी और कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े हुए द्रंग के तमाम नेताओं ने मिलकर द्रंग ही नहीं बल्कि जिला मंडी के विकास को विराम लगाया हुआ है।
जिसके चलते दुर्गम क्षेत्रों की सड़कों के गढ़ों में आम जनता को हिचकोले खाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
अपने राजनीतिक स्वार्थ के चलते पूर्व मंत्री का विरोध मिलकर करते रहे आम जनता में यह संदेश फैलाते रहे कि द्रंग में पेंशन लगाने की नई प्रथा शुरू हो चुकी है ।
व्यक्ति विशेष को पेंशन लगाने की आस में क्षेत्र के विकास का सत्य नाश होता हुआ देखने को मिल रहा है।
सड़कों में गढ़े ही गढ़े हो चुके हैं , चौहार घाटी में खटारा एचआरटीसी की बसें भेज कर बीच सड़कों में कभी भी खड़ी हो जाती है , जिसमें न आंतरिक टायर और नहीं तो क्षतिग्रस्त हुए टायर को खोलने और लगाने के उपकरण परिवहन की बस में होते हैं।
सवारियों को कई किलोमीटर पैदल सफर करना पड़ता है या फिर टैक्सी कर सैकड़ों रुपए खर्च कर अपने सफर को तय करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
द्रंग विधानसभा क्षेत्र की जनता ने लगातार बीजेपी के दो विधायक जरूर चुने हुए हैं। लेकिन डायना पार्क से बल्ह तक की सड़क की जो खस्ता हालत हुई हैं कभी भी किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है। समय रहते टूटी हुई सड़कों पर डंगे नहीं लगाए गए तो दुर्घटना का खतरा हमेशा बना रहेगा।
चौहार घाटी की जनता को अपनी जान हथेली पर रखकर सफर करना पड़ रहा है।
घाटी की जनता में आक्रोश द्रंग के नेताओं और प्रशासन के खिलाफ दिन प्रति दिन सड़कों की खस्ता हालतों को देख कर बढ़ता ही जा रहा है। पधर से बल्ह सड़क वर्ष 2017 में एक बार यह सड़क पक्की हुई थी उसके बाद पेंशन लगाने के लिए चुने गए नेताओं ने चौहार घाटी के विकास की ओर बिल्कुल कोई रुचि नहीं दिखाई। जबकि चुनावों के दौरान क्षेत्र की जनता को झूठे वादे किए जाते रहे कि छोटी छोटी बसे लगाई जाएगी, सड़कों को पक्का किया जाएगा, स्कूलों के शिक्षकों के खाली पदों को भरा जाएगा, स्वास्थ्य कर्मियों को स्वास्थ्य संस्थानों में भर कर क्षेत्र की जनता को सुविधा दी जाएगी।लेकिन चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र के विकास कार्य तो दूर जो संस्थान चल रहे हैं वह भी खंडर बनते बन चुके हैं और बनते जा रहे हैं। बल्ह टीकर पंचायत में कृषि विभाग के लाखों रुपए खर्च कर भवन खंडर बन चुका है।
हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार होते हुए ,जब कि पिछले कई वर्षों से पार्टी संगठन के अध्यक्ष भी चौहार घाटी से ही हैं लेकिन घाटी की समस्याओं के लिए अपनी आवाज बुलंद नहीं कर पा रहे हैं।
वहीं अन्य नेता भी खामोशी बनाए हुए हैं। लेकिन घाटी में स्वास्थ्य संस्थाओं में स्वास्थ्य कर्मियों की कमी , स्कूलों में अध्यापकों के रिक्त पदों से विद्यार्थियों की शिक्षा प्रभावित हो रही है, सड़कें खराब पैच वर्क तक नहीं हो रहा है।