

पत्रकारिता की यह नींव अब हर क्षेत्र में आधुनिकता के साथ साथ विभिन्न तकनीकों जैसे कंप्यूटर की कीबोर्ड की की से लेकर स्मार्ट फोन की वॉयस तक परिवर्तित हो चुकी है । लेकिन पत्रकारिता से जुड़े हुए लोगों को बहुत ही मुश्किल दौर से गुजरना पड़ रहा है।क्योंकि पत्रकारिता के इस क्षेत्र में जब से ठेकदार प्रथा शामिल कर दी गई है मीडिया समाज की आवाज नहीं बल्कि निजी व्यवसाय के विस्तारीकरण तक सीमित होती जा रही है।
बेहतर राष्ट्र निर्माण के लिए बेहतर शिक्षा की गुणवक्ता पर सर्वप्रथम पत्रकारिता पर निर्भर होना चाहिए था वहां अपने निजी हितों को शामिल कर पत्रकारिता होने लगी , समाज के हर वर्ग आवाज से पिछड़ता यह चौथा स्तंभ अब निजी व्यवसायिक स्तंभ बनता जा रहा है।
पत्रकारिता के इस क्षेत्र में जब से व्यवसायिकीयों द्वारा अपने निजी स्वार्थ को देखते हुए मीडिया जगत में शामिल हुए है, पत्रकारिता का स्तर प्रतिदिन गिरता ही जा रहा है।
वरिष्ठ पत्रकारों को हमेशा उनके मूल कर्तव्यों को इतिहास में याद किया जाएगा ,जिन्होंने दुर्गम क्षेत्रों में पहुंच कर जरूरत मंदों की समस्याओं को जाना समझा और राज्य तथा केंद्र सरकारों तक उनकी आवाज को बुलंद कर मूल सुविधाओं में शामिल किया। बहुत से वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा अपने आवास से कई किलोमीटर का सफर पैदल तय कर उस दौर की पत्रकारिता में शामिल रहे हैं लेकिन वर्तमान दौर में वह भावना कम होती हुई जा रही है। पत्रकारिता का उद्देश्य भी अब काफी तेजी से बदल चुका है।
16 नम्बर 1966 को भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना हुई, ताकि प्रिंट मीडिया तथा समाचार एजेंसियों को संरक्षित कर उसमें सुधार किया जाए।
भारतीय प्रेस परिषद का अधिनियम भी 1978 में लागू किया गया।
भारतीय प्रेस परिषद अधिनियम 1978 द्वारा शासित है। यह एक अर्ध-न्यायिक निकाय है जो प्रेस, प्रिंट मीडिया के लिए एक निगरानी के रूप में कार्य करता है और दिशानिर्देशों के उल्लंघन को देखता है। यह एक नियामक निकाय के रूप में कार्य करता है। प्रिंट मीडिया के लिए, पेशेवर मानकों को परिभाषित और प्रसारित करना। इसका मिशन प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करना और भारत में प्रेस मानकों को संरक्षित और विकसित करना है। यह क्रमशः नैतिकता के उल्लंघन और प्रेस के खिलाफ और प्रेस द्वारा लाए गए स्वतंत्रता उल्लंघन के आरोपों का न्यायनिर्णयन करता है। इसे संविधान में निहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने का सबसे महत्वपूर्ण कार्य सौंपा गया है।
वर्तमान में भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष पद पर न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई है। इन से पहले दस न्यायमूर्तियों द्वारा इस पद का निर्वाह कर चुके हैं जिनमें सबसे पहले भारतीय प्रेस परिषद के सबसे पहले अध्यक्ष पद पर न्यायमूर्ति श्री जे.आर.मुधोलकर
4 जुलाई, 1966 – 1 मार्च, 1968
(2) न्यायमूर्ति श्री एन राजगोपाला आयंगर
4 मई, 1968 – 31 दिसंबर 1975
(3) न्यायमूर्ति श्री ए.एन.ग्रोवर
9 अक्टूबर, 1985
3 अप्रैल, 1979 – 15 जून, 1982
(4) न्यायमूर्ति श्री ए.एन.सेन
10 अक्टूबर, 1985 – 18 जनवरी, 1989
(5 )न्यायमूर्ति श्री आर.एस.सरकारिया
24 जनवरी, 1992 – 23 जुलाई, 1995
19 जनवरी, 1989 – 23 जनवरी, 1992
(6) न्यायमूर्ति श्री पी.बी.सावंत
8 अगस्त, 1998 – 7 अगस्त, 2001
24 जुलाई, 1995 – 7 अगस्त, 1998
(7) न्यायमूर्ति श्री के.जयचंद्र रेड्डी
8 अगस्त, 2001 – 7 फरवरी, 2005
(8) न्यायमूर्ति श्री जी.एन.रॉय
19 मई, 2008 – 4 अक्टूबर, 2011
11 मार्च, 2005 – 18 मई 2008
(9) न्यायमूर्ति श्री मार्कण्डेय काटजू
5 अक्टूबर, 2011 – 24 नवंबर, 2014
(10) न्यायमूर्ति श्री सी.के. प्रसाद
21 मई, 2018 – 21 नवंबर, 2021
25 नवंबर, 2014 – 21 मई, 2018