हिमाचल प्रदेश में सत्तापक्ष और विपक्ष के दोनों राजनीतिक दलों की संगठनात्मक सियासत बिसात बिछने लग पड़ी है।
भाजपा तथा कांग्रेस ने अपनी अपनी प्रदेश की सभी कमेटियों को भंग कर दिया हुआ है लेकिन प्रदेशाध्यक्ष कांग्रेस और बीजेपी ने दोनों पार्टियों ने अभी नहीं बदले हुए हैं। भाजपा पहले मंडलों के अध्यक्षों के चुनाव शुरू कर चुकी है , उसके बाद जिला के अध्यक्षों को चुना जाना है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा अपने सचिवों को सभी संसदीय क्षेत्रों तथा जिलों में जिम्मेवारियां सौंप कर भेजे हुए हैं । पार्टी के पर्यवेक्षकों के साथ स्थानीय नेता अपनी अपनी व्यक्तिगत सैटिंग में मशगूल हो चुके हैं जब बीजेपी कार्यकर्ताओं की पसंद से संगठन की जिम्मेवारियां सौंपी जा रही है।
जिला अध्यक्षों के बाद कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां अपने अपने नए प्रदेशाध्यक्षों की ताजपोशी करेगी।
बीजेपी ने मंगलवार प्रदेश के कई मंडलों के अध्यक्षों की ताज पेशी कर दी है , जिसमें मंडी सदर , बड़सर ,ननखड़ी तथा अनेकों मंडलों के अध्यक्षों को चुना गया है ।
वहीं सत्ताधारी कांग्रेस में अभी तक जिला और संसदीय क्षेत्रों के पर्यवेक्षकों द्वारा पार्टी नेताओं की नब्ज टटोलकर वरिष्ठ नेताओं तथा सत्ता के प्रभावशाली नेताओं की पसंद के लोगों कीटिंग और सेटिंग शुरू हो चुकी है।
जबकि विपक्ष में बैठी भाजपा अपने कार्यकर्ताओं की आमसभा बुला कर आपसी सहमति से सार्वजनिक तौर पर अपने संगठन की मजबूती के लिए मंडल से लेकर जिला अध्यक्षों को चुना जा रहा है।
सत्तापक्ष कांग्रेस संगठन में व्यक्तिविशेष नेताओं की मजबूती के लिए संगठन के पदों को भरा जाने लगा है जिसके कारण कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर संगठन को एक कमजोर नेतृत्व के रूप में देखा जाने लगा है।
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी राजीव शुक्ला को प्रदेश संगठन की कोई चिंता नहीं पड़ी है जो संगठन राजीव शुक्ला के द्वारा खड़ा किया था उसमें से कुछ पदाधिकारी तो बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। वहीं हिमाचल कांग्रेस के कई लोकप्रिय नेताओं को शुक्ला खुद कमजोर करने में व्यस्त रहे हैं। शुक्ला ने मंडी जिले में बीजेपी की मजबूती के लिए बीजेपी नेता के घर लंच किया और प्रदेश भर में कांग्रेस नेता ने बतौर प्रभारी पार्टी को कमजोर कर गए और चुनावों में बीजेपी को दस में से नौ सीटों में जीत शुक्ला के लंच ने तय किया हुआ था।
क्योंकि राजीव शुक्ला को हिमाचल के कई नेता समझ चुके हैं कि इन्हें हिमाचल से कांग्रेस को मजबूत करना है या कुछ बीजेपी नेताओं की मजबूती के लिए काम करते रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पर बीजेपी के संगठनात्मक चुनाव होते ही प्रदेशाध्यकों की ताजपोशी भी बीजेपी और कांग्रेस करने वाली है।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता से मिली जानकारी के अनुसार बीजेपी में भी चार से पांच नेता प्रदेशाध्यक्ष की दौड़ में शामिल है लेकिन बिंदल भी पीछे हटने का नाम नहीं ले रहे हैं।
सत्ताधारी कांग्रेस के हाल तो हाल में 11 दिसम्बर को बिलासपुर में सभी ने देखा है कि प्रदेशाध्यक्षा प्रतिभा सिंह मंच पर ही अपना आपा खो बैठी कि यार ऐसा नहीं होता। क्योंकि पार्टी हाइकमान के इशारे के बिना यह संभव ही नहीं हो सकता है कि पूर्व विधायक या मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश की महिला पर पार्टी की अध्यक्षा के संबोधन को रोक दिया जाए। यह सिर्फ पार्टी प्रभारी द्वारा ही इशारा होने की संभावना लगाई जा