HGCTA (एच जी सी टी ए) द्वारा हिमाचल प्रदेश भर्ती और सरकारी कर्मचारियों की सेवा शर्तें विधेयक, 2024 का जोरदार विरोध
अमर ज्वाला// मंडी
हिमाचल प्रदेश सरकारी कॉलेज शिक्षक संघ (एचजीसीटीए) ने हाल ही में हिमाचल प्रदेश भर्ती और सरकारी कर्मचारियों की सेवा शर्तें विधेयक, 2024 पर अपनी नाराज़गी व्यक्त की है जिसे हिमाचल सरकार ने अधिनियमित किया है। यह विधेयक असंवैधानिक और अवमाननापूर्ण और कर्मचारी विरोधी करार दिया है।
HGCTA की अध्यक्षा बिनीता सकलानी ने प्रेस नोट जारी कर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि इस विधेयक का उद्देश्य हिमाचल प्रदेश के लोक सेवा आयोग के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा स्वयं भर्ती किए गए अनुबंध के आधार पर कर्मचारियों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं को अर्थहीन करना है। हाल के दिनों में हिमाचल प्रदेश के माननीय उच्च न्यायालय और भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कर्मचारियों के पक्ष में कई निर्णय पारित किए गए हैं, जिसमें सभी प्रकार के लाभों के लिए कॉन्ट्रैक्ट सेवा की अवधि को गिनने के लिए कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय पारित किए गए हैं क्योंकि कर्मचारियों ने नियमित समकक्ष कर्मचारियों के समान कर्तव्यों का निर्वहन किया है।
उन्होंने कहा है कि न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वेतन वृद्धि, पदोन्नति और अन्य परिणामी लाभों के लिए अनुबंध अवधि की गणना की जाए। हालाँकि राज्य सरकार इन निर्णयों को अक्षरशः लागू करने में अनिच्छुक रही है। न्यायालय के निर्णयों को दरकिनार करने और अपने कर्मचारियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा की शर्तें विधेयक, 2024 लेकर आई है। यह देश में किसी भी राज्य सरकार की ओर से राज्य के 70% से अधिक कर्मचारियों को परेशान करने के लिए विधायिका का उपयोग करने का अपनी तरह का पहला कदम है।
राज्य सरकार के मंत्रियों ने विभिन्न सार्वजनिक मंचों से वादा किया था कि वे अनुबंध नीति को खत्म कर देंगे और कर्मचारियों की सेवाओं को अनुबंध अवधि में शामिल होने की तारीख से गिना जाएगा। राज्य के कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के लिए वर्तमान सरकार के काफी आभारी हैं परन्तु पेंशन की कीमत मौजूदा सेवा लाभ नहीं हो सकते। सरकार ने देश की न्यायिक व्यवस्था पर हावी होने और कर्मचारियों के लाभों को पूर्वव्यापी रूप से समाप्त करने के लिए एक गलत अलोकतांत्रिक मिसाल कायम की है। इस फैसले ने सरकार की कर्मचारी हितैषी छवि पर गहरा आघात किया है। विधेयक अनुबंध कर्मचारी द्वारा दी गई सेवा को गैर सरकारी सेवा मानता है, जबकि ये सभी नियुक्तियों को आवश्यक योग्यता, नौकरी की प्रकृति को हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग है द्वारा वैसे ही किया गया है जैसे कि एक नियमित समकक्ष कर्मचारी की योग्यता है। यदि इन सेवाओं को सार्वजनिक सेवा नहीं माना जाता है तो सरकार ओपीएस के लिए अनुबंध अवधि के लाभों का दावा कैसे कर सकती है। यह सरकार के दोहरे मानदंडों को दर्शाता है।
कॉलेज शिक्षकों की ओर से, राज्य सरकार से यह आग्रह किया जाता है कि वह हिमाचल प्रदेश भर्ती और सेवा शर्तें विधेयक, 2024 को तुरंत वापस ले और कर्मचारियों के पक्ष में सभी अदालती आदेशों को अक्षरशः लागू करे। अन्यथा कर्मचारी इस विधेयक को भारत के माननीय उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देंगे या अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरने से भी नहीं कतराएँगे।
