देश के 14वें पूर्व प्रधानमंत्री , विद्वान अर्थशास्त्री का हुआ निधन,

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिल्ली के एम्स में ली आखिरी सांस

देश महान और विद्वान अर्थशास्त्री 14वें पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का गुरुवार को निधन हो गया है। तबीयत बिगड़ने के बाद देर शाम उन्हें दिल्ली के AIIMS में भर्ती कराया गया है, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वह 92 वर्ष में पूर्व प्रधानमंत्री ने आखिरी सांस ली और लंबे समय से बीमार चल रहे थे।

जानकारी के अनुसार साल 2006 में मनमोहन सिंह की दूसरी बार बाईपास सर्जरी हुई थी, जिसके बाद से वह काफी बीमार चल रहे थे। गुरुवार को उन्हें सांस लेने में तक़लीफ और बेचैनी के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था।

मनमोहन सिंह एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने RBI के गवर्नर के रूप में भी कार्य किया है। वह 1982-1985 तक RBI के गवर्नर थे ।

1985 में राजीव गांधी के शासन काल में मनमोहन सिंह को भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस पद पर उन्होंने निरन्तर पाँच वर्षों तक कार्य किया, जबकि 1990 में यह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बनाए गए। जब पी वी नरसिंहराव प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने मनमोहन सिंह को 1991 में अपने मंत्रिमंडल में सम्मिलित करते हुए वित्त मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंप दिया। इस समय डॉ॰ मनमोहन सिंह न तो लोकसभा और न ही राज्यसभा के सदस्य थे। लेकिन संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार सरकार के मंत्री को संसद का सदस्य होना आवश्यक होता है। इसलिए उन्हें 1991 में असम से राज्यसभा के लिए चुना गया।

मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण को उपचार के रूप में प्रस्तुत किया और भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व बाज़ार के साथ जोड़ दिया। डॉ॰ मनमोहन सिंह ने आयात और निर्यात को भी सरल बनाया। लाइसेंस एवं परमिट गुज़रे ज़माने की चीज़ हो गई। निजी पूंजी को उत्साहित करके रुग्ण एवं घाटे में चलने वाले सार्वजनिक उपक्रमों हेतु अलग से नीतियाँ विकसित कीं। नई अर्थव्यवस्था जब घुटनों पर चल रही थी, तब पी. वी. नरसिम्हा राव को कटु आलोचना का शिकार होना पड़ा। विपक्ष उन्हें नए आर्थिक प्रयोग से सावधान कर रहा था। लेकिन श्री राव ने मनमोहन सिंह पर पूरा यक़ीन रखा। मात्र दो वर्ष बाद ही आलोचकों के मुँह बंद हो गए और उनकी आँखें फैल गईं। उदारीकरण के बेहतरीन परिणाम भारतीय अर्थव्यवस्था में नज़र आने लगे थे और इस प्रकार एक ग़ैर राजनीतिज्ञ व्यक्ति जो अर्थशास्त्र का प्रोफ़ेसर था, का भारतीय राजनीति में प्रवेश हुआ ताकि देश की बिगड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सके

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