मुख्यमंत्री के आत्मनिर्भर लक्ष्य पर नेरचौक मैडिकल कॉलेज प्रशासन की बड़ी लापरवाही आई सामने
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सुभाष ठाकुर*******
मंडी के नेरचौक लाल बहादुर शास्त्री मैडिकल कॉलेज प्रशासन की लापरवाही के चलते 7 करोड़ 36 लाख 98 हजार 342 रुपए के भारीभरकम विद्युत बिल की देनदारियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार की फजीहत करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
आर्थिकी बदहाली के चलते प्रदेश की व्यवस्था करने वाली कांग्रेस सरकार सीमित संसाधनों के साथ प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कृतसंकल्प हैं । लेकिन लालबहादुर शास्त्री मैडिकल कॉलेज में कार्यरत प्रशासन मुख्यमंत्री की मुहिम प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने में रोड अटका रहे हैं ।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विद्युत परियोजनाओं से वाटर सेस और प्रदेश के हर घर से पेयजल के मीटर लगाकर पानी के बिल से करोड़ों रुपए इकठ्ठा कर प्रदेश को आत्मनिर्भर बना कर प्रदेश की आर्थिकी को पटरी पर लाने का प्रयास कर रहे हैं । वहीं स्वास्थ्य विभाग के सैकड़ों कर्मचारी लाखों रुपए वेतन लेने के बावजूद भी अपने सरकारी मिले हुए आवास के विद्युत बिल का भुक्तान पिछले कई वर्षों से नहीं कर रहे हैं।
जबकि कई स्वास्थ्य कर्मचारी उन आवासों से तबादला हो कर दूसरी स्वास्थ्य संस्थानों में जा चुके हैं और अपनी सेवा निवृति तक पा चुके हैं । लेकिन लाल बहादुर शास्त्री मैडिकल कॉलेज प्रशासन की लापरवाही के चलते प्रदेश सरकार करोड़ों रुपए का भुक्तान करना पड़ा है जो लाखों रुपए प्रतिमाह वेतन लेता है।उनके आवासों की बिजली और पानी के बिलों का भुक्तान मैडिकल कॉलेज द्वारा करने का आरटीआई से मिली सूचना में हुआ है।
लाल बहादुर शास्त्री मैडिकल कॉलेज के सैकड़ों स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को मिले हुए कॉलेज के अपने आवास में विद्युत बिल का भुक्तान वर्षों से नहीं हो रहा है।
प्रदेश सरकार हर घर से पेयजल के मीटर लगवाकर ग्रामीण क्षेत्रों के हर उस गरीब परिवार से वसूली करने के आदेश जारी कर चुकी है, वहीं विद्युत बिलों में भी उपभोक्ताओं को मिलने वाली 125 यूनिट बिजली की सब्सिडी को भी बंद किया जा रहा है।
लेकिन नेरचौक मैडिकल कॉलेज में कार्यरत सैकड़ों स्वास्थ्य कर्मचारियों को लाखों रुपए वेतन मिलने के बावजूद भी अपने सरकारी आवास में कई वर्षों तक बिजली मीटर तक नहीं लगाया । जिसका खुलासा विपिन गुलेरिया द्वारा मांगी हुई आरटीआई से हुआ है।
आरटीआई द्वारा मिली सूचना के बाद विद्युत विभाग और लाल बहादुर शास्त्री मैडिकल कॉलेज प्रशासन गहरी निंद्रा से जाग उठा और आवासों में सब मीटर लगा दिए। जिसका भुक्तान मैडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। जबकि सरकारी कर्मचारियों के आवासीय नियमों और शर्तों के मुताबिक कर्मचारियों और अधिकारियों को खुद बिजली और पानी के बिलों का भूतनान करने के लिए विभागीय समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए होते हैं।
नेरचौक मैडिकल कॉलेज में सब मीटर लगाए गए जबकि मैडिकल कॉलेज को व्यवसायकी गतिविधियों के लिए विद्युत मीटर लगा हुआ है। जिससे मैडिकल कॉलेज में लॉन्ड्री, कैंटीन, मैस , लैब , दवाइयों की दुकानें, इत्यादि व्यावसायिकी टैरिफ की दर से विद्युत बिलों का भुक्तान होना है। वहीं नीचौक मैडिकल कॉलेज के स्वास्थ्य कर्मचारियों और अधिकारियों के आवासीय घरों की विद्युत सप्लाई घरेलू टैरिफ की दर से विद्युत बिलों का भुक्तान होगा।
लालबहादुर शास्त्री मैडिकल कॉलेज प्रशासन की लापरवाही के चलते प्रदेश सरकार को हर माह लाखों – करोड़ों रुपए का बोझ तले धकेला जा रहा है। क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा सरकारी आवास नियमों और शर्तों पर गौर किया जाए तो उसमें स्पष्ट किया हुआ है कि विद्युत बिल और पेय जल के बिलों का भुक्तान कर्मचारियों को स्वयं करना अनिवार्य किया हुआ है। लेकिन वर्षों से लाल बहादुर शास्त्री मैडिकल कॉलेज के आवासों में बिजली के मीटर नहीं लगे ,जैसे कैसे मीटर लगाए तो उन्हें मैडिकल कॉलेज के मुख्य मीटर से ही विद्युत सप्लाई दे कर सब मीटर लगाकर प्रदेश सरकार को करोड़ों रुपए का चुना लगाया जा रहा है।
प्रदेश सरकार को चाहिए कि लाल बहादुर शास्त्री मैडिकल को हो रही बिजली की जांच कर बहुत बड़े विद्युत घोटाले से भी पर्दा उठेगा कि कॉलेज प्रशासन की लापरवाही से विद्युत घोटाले की असली जड़ क्या ही क्योंकि चकते प्रदेश सरकार को हर माह करोड़ों का चुना लगाया जा रहा है।
कॉलेज प्रशासन द्वारा कैंटीन ,मैस ,लैब , दवाई की दुकानों ,लॉन्ड्री के लिए विद्युत विभाग से अलग मीटर लगाए जाने चाहिए थे जो उनके एग्रीमेंट के नियम और शर्तों में निर्धारित हुई है। ताकि प्रदेश सरकार को पड़ने वाले करोड़ों रुपए के अतिरिक्त बोझ को रोका जा सकता है।
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डी के वर्मा प्रधानाचार्य से जब पूछा गया कि लाल बहादुर शास्त्री मैडिकल कॉलेज के 7 करोड़ से विद्युत बिल का भुक्तान कब होगा और कैसे इतना बिल आया ?
अमर ज्वाला के सवाल पर मैडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डी के वर्मा ने बोला कि बिल का भुक्तान कर दिया गया है।
जब पूछा कि क्या सारा 7 करोड़ का भुक्तान एक बार में ही कर दिया ?
जबाव में कहा कि यह तो एकाउंटस वाले को मालूम है।
सच्चाई यह है कि 7 करोड़ 36 लाख 98 हजार में से मैडिकल कॉलेज ने 1 करोड़ विद्युत बिल का भुक्तान किया हुआ है। अभी 6 करोड़ रुपए से अधिक बिजली के बिलों का भुक्तान मैडिकल कॉलेज को करना बाकी है।
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मुख्य अभियंता विद्युत विभाग के रजनीश कुमार से जब पूछा गया कि लाल बहादुर शास्त्री मैडिकल कॉलेज का 7 करोड़ से अधिक बिल कैसे आया ?
उन्होंने कहा कि यह बिल काफी समय से लंबित है मैडिकल कॉलेज से पत्रकार जारी है । जब उन्हें पूछा गया कि मैडिकल कॉलेज के कर्मचारियों और अधिकारियों के आवासीय कॉलोनी में सब मीटर लगा कर सरकार को लाखों रुपए का चुना लगा रहे हैं तो उन्होंने मुख्य अभियंता रजनीश ने साफ इंकार किया कि बोले नहीं उन्हें अलग मीटर लगाए हुए हैं। आवासीय कॉलोनी के मीटरों से बिल का भुक्तान हो रहा है।
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लालबहादुर शास्त्री मैडिकल कॉलेज के स्वास्थ्य कर्मचारियों पर यह कहावत शतप्रतिशत स्टिक बैठ रही है कि लाले का जाएगा पाले का तो नहीं जा रहा है।
यानी लाल बहादुर शास्त्री मैडिकल कॉलेज के आवास गृह में मुफ्त विद्युत की आड़ में अपने आवास के सामने खूब कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है । क्योंकि मैडिकल कॉलेज की व्यवस्था के लिए पेय जल तथा साफ सफाई की व्यवस्था के बिजली द्वारा जमीन के नीचे से पम्प से निकासी की जाती है।
जिसका लाभ स्वास्थ्य कर्मचारी अपने आवास के सामने ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा खूब दिया जा रहा है।यही नहीं ऑर्गेनिक खेती में पैदा किए हुए केलों की तो रात को चोरी की सूचना भी सामने आई है।