स्पीति की 70 वर्षीय महिला बौद्ध भिक्षुणी आने चोमो सामाजिक सेवा , निरीह प्राणियों को छेतर कार्य व पर्यावरण संरक्षण में लगा दिया पूरा जीवन
***स्पीति के गांव गांव में भोटी भाषा को दिया बढ़वा
*** बौद्ध पद्धति से प्राचीन चिकित्सा उपचार के लिए अस्पताल का निर्माण
*** बौद्धिक धर्म के संरक्षण के लिए स्पीति के रोंगटोंग में खोला पुस्तकालय
***स्पीति के गांव गांव पहुंच कर पेड़ पौधों को रोपित कर पर्यावरण को किया जा रहा संरक्षित
सुभाष ठाकुर*******
बौद्ध धर्मग्रंथ के अनुसार, महिलाएं पुरुषों की तरह ही आत्मज्ञान प्राप्त करने में सक्षम हैं। बौद्ध धर्मग्रंथ में बताया गया है कि भिक्षुणियों का क्रम सबसे पहले बुद्ध ने अपनी मौसी और पालक-माता महापजापति गोतमी के विशेष अनुरोध पर बनाया था, जो पहली भिक्षुणी बनीं।
सामान्यतः बौद्ध भिक्षुओं का जीवन सरल रहता है, क्योंकि वे भौतिक संसार से अपना संबंध त्याग देते हैं। वे मौन, चिंतन और प्रार्थना का जीवन व्यतीत करते हैं ।
जिला लाहौल स्पीति के क्यामों गांव में एक बौद्ध धर्म परिवार जन्म लेने वाली नहीं छोटी सी उम्र में ही एक लड़की जिसकी पहचान आज आने चोमों के नाम से समूचे स्पीति क्षेत्र में हुई है।
आने चोमो एक ऐसी महिला बौद्ध भिक्षुणी है जिन्होंने अपना पूरा जीवन अपने धर्म बौद्धधर्म के प्रति समर्पित मानव जीवन की बेहतरी निरीह प्राणियों की सेवा तथा स्पीति के गांव गांव पहुंच कर पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी स्पीति वासियों में जागरूकता लाने का यह महत्व पूर्ण कार्य किया जा रहा है।
कौन है आने चोमो ?
बुद्धिस्ट समाज ही नहीं बल्कि मानव जीवन जीने वाले निरीह प्राणियों (पालतू जानवर) तथा पेड़पौधे लगाकर स्पीति को हराभरा बनाने में लगी एक महिला भिक्षुणी जिसे आने चोमो के नाम से समूचे स्पीति क्षेत्र, जिला कांगड़ा के धर्मशाला तथा बिहार राज्य के बोधगया प्रमुख धार्मिक स्थल है वहां भी आने चोमो द्वारा अपनी सेवाएं दी जा रही है।
आने चोमो का व्यक्तित्व परिचय व उनके सामाजिक कार्य आने चोमो वाँगछुप नॉर्जिन जिन्हें स्पीति के लोग आने चोमों के नाम से जानते हैं।
आने चोमो का जन्म स्पीति के छोटे से गांव क्यामों में हुआ।
बचपन से ही आने चोमों धार्मिक प्रवृति की थी। इस लिए घरबार की जिम्मेवारी छोड़कर स्वयं ही चोमो बनने निकल पड़ी। अपने ही हाथों से अपने बालों को काट कर बौद्ध भिक्षुणी के प्रति समर्पित हो कर कदम रखा , तो मां बाप ने बेटी की इच्छा के आगे हार मान ली, और बेटी को नन बनने की इजाजत दे डाली।
धर्मशाला में 14 साल तक विधिवत बौद्ध धर्म का गहराई से अध्ययन कर उसी मिनिस्ट्री में उपमुख्य चोमो के पद को संभाल कर नियमों के साथ पद की जिम्मेवारियों का निर्वाह किया।
वर्ष 1993- 94 में स्पीति के प्रबुद्ध भिक्षु भिक्षुणियों ने स्पीति के शैक्षिक व सांस्कृतिक विकास के लिए *रिंचेन जागम्पों सोसाइटी* की स्थापना कर आने चोमों सभा संस्थापक सदस्यों एक थी। सभा ने अपनी सेवा कार्यों की शुरुआत स्पीति के 20 से 25 बच्चों को धर्मशाला के एक अंग्रेजी माध्यम स्कूल में आधुनिक शिक्षा प्रदान करवा कर धर्मशाला में स्कूल कई सालों तक चलता रहा।
आने चोमों ने इतने सालों तक उन बच्चों को निःशुल्क भोटी भाषा की शिक्षा प्रदान की गई । यही नहीं आने चोमों का ध्यान स्पीति के स्कूलों में भोटी अध्ययन की ओर कार्य करना भी शुरू किया।
स्पीति के स्कूलों में भोटी अध्यापक तो तैनात है मगर निश्चित परीक्षा व्यवस्था व समय साखी के अभाव में भोटी शिक्षा की विशेष प्रगति नहीं हो पाई।
जिसके कारण आने चोमों को गांव गांव और पंचायत दर पंचायत पहुंच कर उन भोटी अध्यापकों को प्रेरित करने लगी। इस कार्य में उन्हें यहां के लोगों का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ। शिक्षण कार्य अधिक तेजी से नहीं बढ़ पाया।
आने चोमों को यह भी समझ आने लगा कि जिसका मुख्य कारण यहां की जनता में बौद्ध धर्म के दर्शन की कमी से है।
स्पीति की जनता शतप्रतिशत बौद्ध धर्म से जुड़े हुए हैं। मगर यहां बौद्ध धर्म विभिन्न प्रथाओं और कर्म कांड तक ही स्पीति था। आने चोमों ने स्पीति वासियों को बौद्ध धर्म के सिद्धांतों से परिचय करवाने के लिए बड़े बड़े लामाओं व गुरुओं जैसे लोचेन रिंपोंछे व सेरकॉन्ग रिंपोंछे आदि से पंचायत पंचायत व गांवों में प्रवचन आयोजन भी करवाए।ताकि स्पीति वासियों को धर्म के साथ साथ सामाजिक गतिविधियों मानव सेवा ,निरीह प्राणियों की सेवा तथा पर्यावरण के प्रति गहरी भावना उत्पन हो सके जिसका लाभ भी स्पीति की जनता को मिल पाया है।
*आने चोमो ने बौद्धधर्म के प्रति जागरूकता सम्बंधी पुस्तकालय किया स्थापित*
बौद्ध धर्म संबंधी जागरूकता बढ़ाने के लिए आने चोमो ने स्पीति के रोंगटोंग में एक बुद्धिस्ट पुस्तकालय की स्थापना कर स्थानीय जनता की सेवा में समर्पित किया हुआ है।
धर्मशाला तथा अन्य जगहों से बौद्ध विद्या की पुस्तकें ला कर पूरे स्पीति के गांव गांव में विस्तृत करने का नेक कार्य किया हुआ है।
अपने धर्म के प्रति पूरी निष्ठा से कार्य कर आने चोमो का सपना रोंग टांग में अपना भवन बना कर बौद्ध अध्ययन केंद्र मेडिटेशन सेंटर खोलने का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है।
जिसके चलते स्पीति के बुद्धिस्ट जिज्ञासु वहां पहुंच कर अध्ययन व चिंतन भी कर सके।
*क्या है छेतर क्या कार्य*
आने चोमो एक दूसरे कार्य छेतर यानी निरीह प्राणियों को जीवनदान देने के लिए कार्य करने लगी हुई है । बौद्ध धर्म में छेतर को बहुत बड़ा पुण्य माना गया है।
इस लिए आने चोमो ने गांव में जाकर प्रेरित किया कि निरीह प्राणियों को जीवन दान देना बौद्ध धर्म में बहुत बड़ा पुण्य माना गया है। वर्तमान समय में आने चोमो ने हजारों भेड़ बकरियों को छेतर प्रदान किया।
यह छेतर बुद्धजयंती व परमपावन जयंती के अवसरों पर किया जाता है।
आने चोमो अपनी सामाजिक सेवाओं में यही नहीं रूकी , बल्कि स्पीति को हारा – भरा बनाने के लिए स्वयं पेड़ पौधों को गांव गांव पहुंचा कर उपलब्ध करवा रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों की समस्त जनता को पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य भी कर रही है।
आए दिन आने चोमो स्पीति में परम परागत प्राचीन चिकित्सा पद्धति के अनुसार बीमारियों का उपचार करने के लिए निर्मित किए जाने वाले भवन निर्माण कार्य में व्यस्त हैं।
भावन निर्माण में होने वाले खर्चे को पूरा करने के लिए बोधगया में भी चन्दा इकट्ठा करने के लिए वहां एक काउंटर भी लगाया गया है।
हैरानी की बात यह है कि आने चोमो अपने सभी सेवा कार्यों को दान में मिलने वाली राशि से पूरा करती आई है।
आने चोमो 70 वर्ष की आयु में भी सामाजिक कार्यों के प्रति दूसरों को भी सामाजिक कार्यों के लिए प्रेरित करने का नेक कार्य कर रही।
आने चोमो खुद पिछले कई वर्षों से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से झुंझ रही है।लेकिन सामाजिक कार्यों के प्रति आने चोमो के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखाई दी है।
आने चोमो ने खुद चौथी या पांचवीं कक्षा तक ही पढ़ाई करने वाली ने बौद्ध धर्म में वर्णित करुणा व बौद्धचित के विचार आदि के अनुसार सेवा कार्यों में विशेष रुचि रखती है। हाल ही काज़ा में मनचिखंग (अस्पताल) के अधूरे भवन का कार्य जल्द पूर्ण करने में लगी हुई है।
प्रथम तल के भवन निर्माण का कार्य पूर्ण हो चुका है, दूसरे व तीसरे मंजिल का निर्माण कार्य करना अभी बाकी है।
आने चोमो इस दौरान बहुत ही गंभीर आर्थिकी समस्याओं से झुंझ रही है। ताकि स्पीति में बनाए जा रहे अस्पताल के भवन का निर्माण कर जल्द पूरा किया सके। आने चोमो मोबाइल फोन में वीडियो कॉल कर दानी सजनों से प्राथना करते हुए कहा है कि सभी दानी सजन हमारे सामाजिक सेवा के लिए हो रहे भवन निर्माण अधूरे कार्य को पूर्ण करने के लिए जो संभव हो सके सहयोग की अपील की हुई है। ताकि स्पीति में प्राचीन बौद्ध पद्धति से चिकित्सा प्रदान की जा सके।
आने चोमो ने कहा है कि अस्पताल में प्राचीन बौद्धिक पद्धति से हर बीमारियों का उपचार किया जाएगा।
ताकि स्पीति की जनता को बेहतर स्वास्थ्य और लम्बी उम्र प्रदान हो सके।
मानव जीवन , तथा पशु पक्षियों के साथ साथ पर्यावरण के प्रति गहरी संवेदना के साथ अपना पूरा जीवन यापन करने वाली आने चोमो जैसी महिला भिक्षुणी द्वारा की जा रही सामाजिक सेवा को देखते हुए प्रदेश सरकार और जिला स्पीति के प्रशासन को चाहिए कि ऐसी महिला भिक्षुणी को सम्मानित कर सामाजिक सेवा के प्रति आने चोमो से प्रतीत हो सके।
ताकि सामाजिक सेवा के प्रति अन्य धर्मों से जुड़े हुए लोगों के कदम भी यूं ही आगे बढ़ सके।