7 सितंबर को रक्तवर्णी चंद्रग्रहण: भारत में वर्ष का पहला और अंतिम दृश्य ग्रहण – पं. शशि पाल डोगरा

शिमला। भाद्रपद पूर्णिमा 7 सितंबर 2025 रविवार की रात्रि इस वर्ष का दूसरा चंद्रग्रहण घटित होगा। वशिष्ठ ज्योतिष सदन के अध्यक्ष व अंक ज्योतिषी पंडित शशि पाल डोगरा ने बताया कि यह चंद्रग्रहण भारत में प्रत्यक्ष दिखाई देने वाला पहला और अंतिम चंद्रग्रहण है। इसी दिन से पितृपक्ष की भी शुरुआत हो रही है।जिस के कारण विश्व देश व प्रदेश में राजनीतिक उथल पुथल व भूकंप के झटके व किसी बड़े नेता को संकट में डाल सकता है।कहीं युद्ध की स्थिति बनेगी।प्राकृतिक प्रकोप ,कहीं अग्नि कांड देगा।नेताओ का वाणी पर सयम नहीं रहेगा।

ग्रहण का समय और सूतक
• ग्रहण प्रारंभ – रात 9:58 बजे (7 सितंबर)
• ग्रहण समाप्त – सुबह 1:26 बजे (8 सितंबर)
• सूतक प्रारंभ – दोपहर 12:57 बजे (7 सितंबर से)

पं. डोगरा ने कहा –
“सूतक काल में सभी मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे और इस दौरान शुभ कार्य करना वर्जित है।”
खासियत – रक्तवर्णी चंद्रग्रहण
यह ग्रहण कुंभ राशि व पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में पड़ेगा और रक्तवर्णी (ब्लड मून) के रूप में दिखाई देगा।

“रक्तवर्णी चंद्रग्रहण केवल खगोलीय घटना नहीं, बल्कि मानव जीवन और विश्व व्यवस्था पर गहरा असर डालने वाला समय है।” – पं. डोगरा

राशि अनुसार प्रभाव व उपाय

🔹 मेष – खर्च बढ़ेंगे, स्वास्थ्य पर असर।
👉 उपाय: हनुमान जी को गुड़-चने का भोग लगाएँ।

🔹 वृषभ – नए अवसर मिलेंगे, लाभ होगा।
👉 उपाय: विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

🔹 मिथुन – करियर में अस्थिरता।
👉 उपाय: गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें।

🔹 कर्क – भाग्य का साथ, यात्राएँ सफल।
👉 उपाय: शिवलिंग पर दूध चढ़ाएँ।

🔹 सिंह – तनाव और धनहानि की संभावना।
👉 उपाय: सूर्य देव को जल अर्पित करें।

🔹 कन्या – दांपत्य जीवन में तनाव।
👉 उपाय: दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

🔹 तुला – रोग व खर्च में वृद्धि।
👉 उपाय: तुलसी पौधे को जल दें और दीपक जलाएँ।

🔹 वृश्चिक – कार्यक्षेत्र में प्रगति।
👉 उपाय: शिव जी को बेलपत्र अर्पित करें।

🔹 धनु – पारिवारिक तनाव।
👉 उपाय: पीपल वृक्ष की परिक्रमा करें।

🔹 मकर – आर्थिक लाभ और सुख-सुविधा।
👉 उपाय: शनि देव को सरसों का तेल अर्पित करें।

🔹 कुंभ – स्वयं की राशि पर ग्रहण, मानसिक तनाव।
👉 उपाय: महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।

🔹 मीन – विदेश से शुभ समाचार, आध्यात्मिक लाभ।
👉 उपाय: माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएँ।
विश्व, भारत और प्रदेश पर प्रभाव
• विश्व स्तर पर – सत्ता परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएं और अशांति।
• भारत में – राजनीतिक टकराव, आर्थिक अस्थिरता और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में आपदा की संभावना।
• हिमाचल प्रदेश – भारी वर्षा, भूस्खलन, कृषि व बागवानी क्षेत्र प्रभावित।राजनीतिक हल चल देगा।संगठन व सरकार में विरोध के स्वर उठेगे।सरकार के मुख्य को किसी बड़ी परिशानी का सामना करना पड़ेगा।स्वास्थ्य को लेकर समय सही नहीं रहेगा।

क्या करें

पं. डोगरा ने कहा –
“ग्रहणकाल में भगवान शिव का ध्यान, महामृत्युंजय मंत्र का जाप और पितरों को जल अर्पण करना विशेष रूप से लाभकारी रहेगा।”

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