कुलपति व चयन समिति की मिलीभगत से हिमाचल के विश्वविद्यालयों में अपात्र प्रोफेसरों की हुई नियुक्तियां

*** पूर्व की भाजपा सरकार में सक्रिय रहा फर्जी नियुक्तियों का एक गिरोह 

सुभाष ठाकुर*******

हिमाचल प्रदेश ही नहीं बल्कि अन्य बाहरी राज्यों के कई विश्वविद्यालय में कुछ वर्षों से प्रोफेसरों,सहायक प्रोफेसरों तथा एसोसिएट प्रोफेसरों की फर्जी नियुक्तियों से शिक्षा के क्षेत्र में एक वर्ग को बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता जा रहा है।

जिन्होंने दिन रात कड़ी मेहनत कर अपने बच्चों की उच्च शिक्षा ग्रहण करवा कर  मंजिल की अंतिम सीढ़ी तक पहुंचाया हुआ है । लेकिन वहां पहुंच कर अभिभावक और उनके बच्चों को राजनीतिक प्रभाशाली नेताओं के आगे कमजोर दिखाया जाने का यह खेल शिक्षा के क्षेत्र में घातक सिद्ध साबित होने लगा है।

फर्जी डिग्रियों , विश्वविद्यालय की चयन समिति तथा विश्वविद्यालय के कुलपति भी इस खेल में रंगे हुए पाए गए हैं।

मंडी सरदार पटेल विश्व विद्यालय की  नियुक्तियों का मामला देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचा हुआ है।  प्रधानमंत्री मोदी के कार्यालय से राज्य की पूर्व भाजपा सरकार को जांच के आदेश दिए गए थे।

भाजपा की पूर्व जयराम सरकार द्वारा क्या जांच की या नहीं करवाई जिसका खुलासा उच्च न्यायालय में दर्ज हुई याचिकाओं के फैसलों से खुलासा एक के बाद एक होता जा रहा है।

विश्वविद्यालयों में हुई फर्जी नियुक्तियों की भर्ती करने वाले गिरोह में कुछ सदस्य चयन समिति के सदस्यों शामिल रहते थे और वहीं से विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर प्रोफेसरों ,सहायक प्रोफेसरों तथा एसोसिएट प्रोफेसरों की नियुक्तियों का खेल शुरू होता रहा । अमर ज्वाला जिसका खुलासा सबसे पहले किया हुआ था और कांग्रेस विधायक चंद्र शेखर ने बड़े पैमाने पर सदन में भी इसका खुलासा कर डाला लेकिन राज्य सरकार कोई उचित कदम नहीं उठा पाई।

 

प्रदेश के उच्च शिक्षा वर्ग में खूब चर्चा है कि शिमला विश्वविद्यालय के एक गुरु जी के नाम से ख्याति प्राप्त और केंद्रीय विश्वविद्यालय में तीन से चार ऐसे ही शिक्षक पद पर विराजमान हुए हैं जिन्होंने पूर्व की जयराम ठाकुर सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नाम पर ही नहीं बल्कि पूरी भाजपा पर दागदार बना डाला है।

पूर्व की जयराम ठाकुर की भाजपा सरकार में विश्वविद्यालयों की नियुक्तियों का जिम्मा केंद्र से लेकर हिमाचल तक खूब छाया रहा है । जिसका खुलासा भाजपा के एक पूर्व पदाधिकारी ने आरटीआई द्वारा जानकारी लेकर मीडिया में खुलासा किया हुआ है।

हिमाचल प्रदेश के विश्वविद्यालयों में फर्जी नियुक्तियों के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इन मामलों में न्यायालय ने कड़ी कार्रवाई करते हुए कई फर्जी नियुक्तियों को रद्द किया है।

*मंडी सरदार पटेल विश्वविद्यालय*

उच्च न्यायालय ने एक सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति रद्द कर दी है, जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की थी। न्यायालय ने चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और सत्यापन के महत्व पर जोर दिया है। नियुक्ति रद्द कर दी हुई है और प्रतीक्षा की सूची में प्रथम स्थान वाले की नियुक्ति के आदेश दिए हुए हैं । उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कई गंभीर आरोप लगाए लागते हुए नियुक्ति रद्द की हुई है और चयन समिति द्वारा बरती गई अनियमितताएं पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं ।

शिमला विश्वविद्यालय

फर्जी नियुक्तियों के मामले में जांच चल रही है, और न्यायालय ने कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

उच्च न्यायलय ने अपने आदेश में विश्वविद्यालय के कुलपति की शक्तियों के बारे में कहा कि

इस मामले में दिलचस्प बात यह है कि कार्यकारी परिषद ने नियुक्ति की शक्ति कुलपति को इस बात को देखे बिना सौंप दी कि इस तरह की शक्तियां नहीं दी जा सकती। कारण ये है कि मुख्य अधिनियम कुलपति को कोई भी नियुक्ति करने की शक्ति नहीं देता है। और दोनों सहायक प्रोफेसरों की नियुक्तियों को रद्द करने के महत्वपूर्ण आदेश दे कर भाजपा सरकार में हुई फर्जी नियुक्तियों का एक के बाद एक खुलासा होता जा रहा है।

शिमला विश्वविद्यालय के एक अन्य मामले पर एक सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति EWS का फर्जी सर्टिफिकेट से पाई नौकरी भी रद्द कर दी है।

– *पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय*:

एक सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति रद्द कर दी गई है, जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की थी।

*बाहरी राज्यों में फर्जी नियुक्तियां*

– *तमिलनाडु की अन्नामलाई विश्वविद्यालय*: 56 सहायक प्रोफेसरों को बर्खास्त कर दिया गया है, जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की थी।

– *उत्तर प्रदेश*: 22 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया है, जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति हासिल की थी। विभाग ने सभी को वेतन रिकवरी के साथ ही FIR दर्ज कराने का आदेश दिया है।

– *ओडिशा*: एक वाणिज्य लेक्चरर संतोष सतपथी को फर्जी शैक्षणिक प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी हासिल करने के कारण बर्खास्त कर दिया गया है। उन्हें 2018 से प्राप्त वेतन भी वापस करने का निर्देश दिया गया है

*सरकार की कार्रवाई*

सरकार ने फर्जी शिक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का फैसला करने का निर्णय लेती है या नहीं यह आने वाले समय में देखना होगा । शिक्षा व्यवस्था में सुधार और पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद है।

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