बीजेपी की भक्ति में लीन रहे देश का युवा बाहर निकलने को तैयार, देश के युवाओं के नही आए अच्छे दिन , युवाओं को दिखाए सपने नही हुए पूरे
***दस वर्षों के शासन में नही आए अच्छे दिन ,बेरोजगारों की बढ़ती गई करोड़ों में संख्या
सुभाष ठाकुर*******
दस वर्ष पूर्व बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनावों में देश के युवाओं को अच्छे दिन आने वाले हैं , युवाओं को हर वर्ष दो करोड़ सरकारी क्षेत्रों में नौकरी देंगे । युवाओं के सपने पूरे होंगे । देश में पेट्रोल और डीजल 30 से 35 रुपए लीटर करने के सपने दिखाए थे। जबकि उस वक्त डीजल 65 रुपए और पेट्रोल 72 रुपए था । वर्ष 2014 में घरेलू गैस 450 रुपए था और आज 1100 रुपए से भी ऊपर के दाम पांच साल तक रहे । बीजेपी ने देश की जनता को विदेशों से काला धन लाने का वादा कर देश के सभी लोगों को 15 – 15 लाख रुपए उनके खातों में डालने का सपना दिखाया था लेकिन 8 नम्बर 2016 की मध्य रात्रि को देश के प्रधानमंत्री ने 1000 और 500 रुपए के नोट बंद कर देश के छोटे बड़े उद्योगों का कारोबारियों को उनके उद्योगों को बंद करने पर मजबूर किया क्योंकि देश की जनता का अपना ही पैसा बैंकों की निकासी के लिए कई महीनों तक सीमित कर पाबंदी लगाकर उद्योगों के कारोबार को ठप कर बेरोजगारों की संख्या को बढ़ा कर युवाओं के भविष्य को बर्बादी की तरफ धकेला हुआ है।
देश में बेरोजगारी की संख्या 7 प्रतिशत से अधिक हो चुकी है जबकि दिसंबर 2022 में यही संख्या 8.30 प्रतिशत हो चुकी थी। बीजेपी की केंद्र सरकार बेरोजगारों का आंकड़ा आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक करने पर भी पाबंदी लगा रखी है ताकि जो दो करोड़ नौकरी देने का वादा बीजेपी ने युवाओं से किया था बीजेपी खुद बेरोजगारी के आंकड़ों में फंस चुकी है कि उन्होंने देश के युवाओं से क्या वादा किया था वह दस वर्षों में भी पूरा नहीं कर पाए हैं।
बीजेपी ने वर्ष 2013- 14 के लोकसभा चुनावों में मंहगाई को कम करने के लिए देश की जनता से वादा किया था। देश के है राज्यों में हर विधानसभा क्षेत्रों के मुख्यायल्यों में मंहगाई के खिलाफ जोरदार यूपीए दो खिलाफ हो हल्ला किया कि बीजेपी देश की सत्ता संभालते ही मंहगाई को कम करेगी। लेकिन बीजेपी के शासन में गैस 1200 रुपए का एक घरेलू सिलेंडर जो यूपीए की सरकार में 450 रुपए मिल रहा था। पेट्रोल डीजल।के से 100 पर कर चुके ।वही यूपीए के दौरान 72 रुपए से नीचे था। खाद्य सामग्रियों में जबरदस्त मंगाई का उछाल आ चुका है लेकिन केंद्र की मोदी सरकार बेरोजगारी को कम करने के लिए मंहगाई को कम करने के लिए कामयाब नही हो पाई ।
बीजेपी की केंद्र में मोदी सरकार के कार्यकाल में धर्म और जाति के नाम पर विपक्ष के नेताओं को ईडी और सीबीआई की रेड डाल कर भ्रष्टाचार का केस बनाकर बीजेपी में शामिल करवाते गए जिस से बीजेपी की छवि देश के युवाओं में नकरतमकता ला चुकी है।
देश का मिडिया बीजेपी की केंद्र सरकार के साथ वही कर रही है जो बीजेपी देश में माहौल देखना चाहता है।
देश के सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार की भ्रष्टाचार नीति योजना की पोल तब खोली जब चुनावी बांड की लिस्ट एसबीआई को आदेश देश चुनाव आयोग दे कर उसे अपनी आधिकारिक वेवसाईट में डालने के सख्ती से आदेश दे कर असली भ्रष्टचार से पर्दा उठाया है ।उसके बाद देश भर में बीजेपी भ्रष्टचार में खुद ही संलिप्त पाई जा रही है।
बीजेपी ने देश के युवाओं को हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था वहीं नोट बंदी कर बेरोजगारों की संख्या में वृद्धि कर अंधभक्ति की ओर युवाओं को जाने के लिए मजबूर कर दिया ।
बीजेपी के दस वर्षों के शासन में उच्च शिक्षण संस्थानों में अपने एबीवीपी के ऐसे पदाधिकारियों को विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के पदों पर रखा जो लोग यूजीसी के नियमों में अपात्र थे उन्हें शिक्षकों के पदों पर तब रखा गया जब उन्होंने बीजेपी के लोगों द्वारा कई ट्रस्ट जैसे हिमाचल प्रदेश में सुनील उपाध्याय एजुकेशन ट्रस्ट है और हिम साइंस कांग्रेस एसोसेशन जैसे संस्थाओं में पैसों के खेल से भ्रष्टाचारियों की नियत से कई विश्वविद्यालयों में भर्तियां की हुई है ।वही जो अपने विषयों में उच्च शिक्षा की डिग्रियां लेकर कई वर्षों का अनुभव प्राप्त लोगों को सब्जियों के ठेले लगाने तथा पकोड़ा तलने के लिए मजबूर कर दिया है।
बीजेपी ने दस वर्ष पहले देश की जनता को वादा किया था कि हर वर्ष 100 स्मार्ट सीटियों का निर्माण किया जाएगा ।देश के युवाओं को अब मालूम हो चुका है कि बीजेपी सत्ता के लिए देश को हर मुद्दों पर गुमराह करती आई है यह बीजेपी की राजनीतिक रणनीति हो सकती है लेकिन देश का युवाओं में आंतरिक विरोधाभास तब जाग उठा है जब देश की सबसे बड़ी और विश्वसनीय जांच एजेंसियों को ईडी और सीबीआई को अपनी सत्ता के दुरुपयोग के लिए प्रयोग कर विपक्षी दलों के नेताओं को पकड़ कर जेल भेजा गया।
वही भ्रष्टाचारी नेता जिस दिन बीजेपी में शामिल हो जाता है वह ईमानदार बन जाता है जिससे देश का पढ़ा लिखा युवा बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए लोकसभा चुनावों का इंतजार कर रहा है।