पंचायत ने किया नजरंदाज तो खुद ही संभाल लिए औजार

 

किसानों की आया दोगुनी करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र और महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना पर समन्वित नीतिगत दृष्टिकोण हेतु सात मुख्‍य‍मंत्रियों के उप-समूह का गठन किया गया है।

योजना के अंतर्गत मनरेगा स्‍कीम का उपयोग करते हुए बुवाई-पूर्व एवं फसल कटाई-उपरांत उपायों पर विशेष बल देते हुए ऐसी टिकाऊ परिसंपत्तियों का सृजन करने का सुझाव दिया गया जिसकी सहायता से किसानों की आमदनी को दोगुनी करने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में व्याप्त मुश्किलों को कम किया जा सके।  लेकिन पंचायती राज संस्थाओं में केंद्र सरकार की यह योजना भाई भतीजे की बेड़ियों में फंस कर किसानों को इसका भरपूर लाभ नहीं मिल पा रहा है।

पंचायती संस्थानों में चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा अपने क्षेत्र में अपने चहेतों जिन्होंने उन्हें पंचायती राज संस्था के लिए चुना हुआ है मात्र उन्हीं तक यह केंद्र सरकार की योजना सीमित हो कर रह चुकी है जिसका एक उदाहरण हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी के द्रंग विधानसभा क्षेत्र की पाली पंचायत में ऐसा मामला सामने आया है।

ऐसी शिकायतों का निवारण तुरंत खंड विकास अधिकारी को चाहिए था । खंड विकास अधिकारी को चाहिए कि साल में एक बार पंचायत की आमसभा में शामिल होकर पंचायत की समस्याओं को खुद भी सुन जायजा लेना चाहिए । अधिकारियों को नेताओं की चाकरी से फुरसत मिले तो किसानों हो आने वाली समस्या का समाधान हों पाए।

पंचायत पाली के सेरीधार निवासी कुलदीप सिंह ने स्वयं ही कर दी एक बीघा जमीन की मेंढबंदी। बतौर कुलदीप सिंह ने बताया कि पाली पंचायत में पिछले कई वर्षो से पंचायत के आम सभा में अपनी जमीन के उत्थान व सुधार के लिए अनेकों बार प्रस्ताव और आवेदन डाले गए और पारित करवाए गए ,मगर हर बार उनके परिवार की प्रस्तावों में प्रतिनिधि द्वारा जानबूझ कर अडंगा डालते हुए हर बार स्थगित किया तो फिर उन्होंने खुद ही खाली समय में जमीन और खेतों के सुधार हेतु गैंती,बेलचा और फावड़ा संभाला और एक सप्ताह में ही कई वर्षो से बेजान पड़ी जमीन को अपने पसीने से खेती योग्य बना डाला। बकौल कुलदीप सिंह जो कि पेशे से शिक्षक है और खेतीबाड़ी, पौधा रोपण, के साथ साथ पर्यावरण प्रेमी भी है। उन्होंने बताया कि वे पंचायत के सर्वाधिक खेती करने वाले किसानों में एक है और सर्वाधिक गाय पालकों की श्रेणी में आते हैं लेकिन भाई भतीजावाद की वजह से हर बार उनके प्रस्तावित कार्यों को रोका गया,जो कि बहुत ही दुखद विषय है। इस बाबत कई बार पंचायत व खंड विकास कार्यालय में भी अवगत करवाया जाता रहा है, लेकिन आज दिन तक कोई समाधान नहीं मिला है। कुलदीप सिंह ने बताया कि अभी भी बहुत से कार्यों को आम सभा में शामिल करवाया गया है और भविष्य में अगर इसी तरह अनदेखी हुई तो जिला प्रशासन को भी शिकायत करने से गुरेज नहीं करेंगे। क्योंकि हर बार उनके परिवार के कार्यों को पीछे धकेल दिया जाता रहा है और बहुत मामलों में कुछ ऐसे लोगो के कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है जिनका कृषि, पशुपालन से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं है और कुछ ऐसे कार्य ऐसे लोगो के भी हुए हैं जिनका वोट भी पंचायत में नहीं है और ना ही वे लोग यहां रहते हैं।

गौरतलब रहे कि कुलदीप सिंह शिक्षक के साथ साथ एक सामाजिक उत्थान के लिए संस्था भी चलाते हैं और समय समय पर सामाजिक कार्यों में अपनी भूमिका अदा करते हैं और हर वर्ष सैंकड़ों पौधारोपण भी अपने आप करते हैं।

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