केंद्र की मोदी सरकार के दस वर्षों के कार्यकाल में केंद्रीय विश्वविद्यालयों तथा बीजेपी शासित राज्यों में विश्वविद्यालयों में अपात्र लोगों को प्रोफेसरों के पदों पर पैसे लेकर नियुक्तियां कर करोड़ों अरबों रूपयों का भ्रष्टाचार किया गया है ।
मोदी के दस वर्षों में विश्वविद्यालों में उच्च शिक्षण संस्थाओं में शिक्षकों की नियुक्तियों का बहुत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है जिसमे राज्यों के मुख्यमंत्री तथा शिक्षा मंत्री के मिलीभगत की ओर इशारा होता है। एबीवीपी आरएसएस के कुछ लोगों ने अपने संगठनों के उच्च पदों का दुरुपयोग कर एबीवीपी और आरएसएस जैसे संगठनों को पूरी तरह से बंदनाम कर रखा हुआ है।
मोदी के दस सालों का यह परिणाम अनेकों जगह देखने को मिलेगा हिमाचल प्रदेश के केंद्रीय धर्मशाला विश्वविद्यालय में दसवी के गणित में फेल व्यक्ति एवीबीपी का राज्य अध्यक्ष के पद की जिम्मेवारी संभाल चुका उसे विश्वविद्यालय में प्रोफेसर नियुक्त किया हुआ है। एसपीयू मंडी में एक टीजीटी को प्रोफेसर नियुक्त तब किया जिस विश्वविद्यालय में उसके पति को बीजेपी ने डीन नियुक्त किया हुआ था ।
यानी परिवारवाद के विरोध करने वाली बीजेपी उच्च शिक्षण संस्थानों में वही कार्य खुद किया गया है।
बनारस में श्री राम ने लिखने वाले चार छात्रों को दिए 50 फीसदी अंक, वीबीएसपी यूनिवर्सिटी की डीफार्मा परीक्षा पर विचित्र खुलास हुआ है।
जौनपुर के राजकीय वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल यूनिवर्सिटी से एक अनोखा मामला सामने आया है। यूनिवर्सिटी के डीफॉर्मा स्टूडेंट्स को पास कराए जाने के मामले सामने आने के बाद कॉपी जांच करने वाले शिक्षक कार्रवाई के दायरे में आ रहे हैं। दरअसल, चार छात्रों को कॉपी में जय श्री राम लिखने पर पास किए जाने का मामला सामने आया है।
जौनपुर: उत्तर प्रदेश के जौनपुर में परीक्षा में पास होने के लिए छात्रों की करतूत और फिर शिक्षकों के पिघल जाने का मामला सामने आया है। दरअसल, राजकीय वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल (वीबीएसपी) यूनिवर्सिटी जौनपुर की डीफार्मा की परीक्षा में चार छात्रों को पास कर दिया गया। परीक्षार्थियों के पास होना कुछ लोगों को खटका। आरटीआई के तहत इन छात्रों के कॉपी की मांग की गई। कॉपी को देखकर लोगों का माथा ठनक गया। दरअसल, जिन छात्रों को 50 फीसदी अंकों से पास किया गया था, उन्होंने अपनी कॉपी में जय श्रीराम लिखी थी। इसके अलावा उन्होंने कॉपी में कुछ स्टार क्रिकेटरों के नाम भी आंसर के रूप में लिखे थे। इसके अलावा विषय के संबंध में कॉपी में कुछ भी नहीं था। मामला गरमाते ही यूनिवर्सिटी प्रशासन ने जांच बैठा दी।
मोदी के 10 साल फैक्ट्स
जय श्री राम ने दिला दिए 50 फीसदी अंक, वीबीएसपी यूनिवर्सिटी की डीफार्मा परीक्षा पर विचित्र खुलासा जौनपुर वीबीएसपी यूनिवर्सिटी का है।
जौनपुर के राजकीय वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल यूनिवर्सिटी से एक अनोखा मामला सामने आया है। यूनिवर्सिटी के डीफॉर्मा स्टूडेंट्स को पास कराए जाने के मामले सामने आने के बाद कॉपी जांच करने वाले शिक्षक कार्रवाई के दायरे में आ रहे हैं। दरअसल, चार छात्रों को कॉपी में जय श्री राम लिखने पर पास किए जाने का मामला सामने आया है।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर में परीक्षा में पास होने के लिए छात्रों की करतूत और फिर शिक्षकों के पिघल जाने का मामला सामने आया है। दरअसल, राजकीय वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल (वीबीएसपी) यूनिवर्सिटी जौनपुर की डीफार्मा की परीक्षा में चार छात्रों को पास कर दिया गया। परीक्षार्थियों के पास होना कुछ लोगों को खटका। आरटीआई के तहत इन छात्रों के कॉपी की मांग की गई। कॉपी को देखकर लोगों का माथा ठनक गया। दरअसल, जिन छात्रों को 50 फीसदी अंकों से पास किया गया था, उन्होंने अपनी कॉपी में जय श्रीराम लिखी थी। इसके अलावा उन्होंने कॉपी में कुछ स्टार क्रिकेटरों के नाम भी आंसर के रूप में लिखे थे। इसके अलावा विषय के संबंध में कॉपी में कुछ भी नहीं था। मामला गरमाते ही यूनिवर्सिटी प्रशासन ने जांच बैठा दी।
जौनपुर में राजकीय वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल (वीबीएसपी) विश्वविद्यालय के चार डीफार्मा (डिप्लोमा इन फार्मेसी) छात्र की कॉपी ने बवाल खड़ा कर दिसा है। इन परीक्षार्थियों ने हाल ही में एक परीक्षा में ‘जय श्री राम’ और कुछ स्टार क्रिकेटरों के नाम के अलावा कुछ नहीं लिखा था। एग्जामिनर ने उन्हें 50 फीसदी अंक दिए गए। आरटीआई के माध्यम से हुए विचित्र खुलासे के बाद जांच और दोबारा परीक्षा हुई, जिसके परिणामस्वरूप चारों को शून्य अंक मिले। जांच पैनल ने 50 फीसदी अंक देने वाले दो शिक्षकों को बर्खास्त करने की सिफारिश की है।
एक्स स्टूडेंट ने दायर की थी आरटीआई
विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की ओर से चांसलर के रूप में कार्रवाई को मंजूरी देने के बाद यह किया जाएगा। विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र दिव्यांशु सिंह ने चार अंकों पर सवाल उठाते हुए आरटीआई याचिका दायर की और राज्यपाल से शिकायत की, जिसके बाद जांच शुरू हुई। यह बिल्कुल स्पष्ट नहीं है कि दिव्यांशु ने याचिका क्यों दायर की, लेकिन यूपी में विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच प्रतिद्वंद्विता असामान्य नहीं है।
वीबीएसपी की कुलपति वंदना सिंह ने दोनों शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की पुष्टि करते हुए कहा कि प्रस्ताव को पहले मंजूरी के लिए विश्वविद्यालय की कार्यकारी समिति के समक्ष रखा जाएगा। वहीं, यह मामला लगातार गरमा रहा है।