चौहार घाटी के इतने बड़े हादसे से सौतेले व्यवहार से चौहार घाटी की जनता में छाई दोहरी मायूसी, एक तरफ दस इंसानी जिंदगियों के गम में गमगीन तथा दूसरी ओर केंद्रीय नेतृत्व व मुख्यमंत्री, मंत्री, नेता प्रतिपक्ष, और मंडी संसदीय क्षेत्र की सांसद कंगना रानौत, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष नही पहुंचे घटना स्थल।
सुभाष ठाकुर*******
मंडी जिले के द्रंग विधानसभा क्षेत्र की दुर्गम चौहार घाटी से प्रदेश की सरकारों ने हमेशा ही हर मामलों में सौतेला व्यवहार किया जाता रहा है।
31 जुलाई की आधी रात को हुई भारी बारिश से प्रदेश के कई स्थानों पर बादल फटने से प्रदेश को करोड़ों रूपए का जानमाल का नुकसान हुआ है।
चौहार घाटी के तेरंग गांव के 10 लोगों की जाने गई है जिसमें 9 लोगों के शव एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ स्थानीय लोगों की मदद से खोज निकाला है कई घरों को बाढ़ पूरी तरह से बहा ले गई है।
घटना के बाद आधा महीना बीत जाने के बाद भी चौहार घाटी के बरोट क्षेत्र तेरंग के राजवन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा देश के किसी बड़े नेता ने कदम तक नही रखा ।
कांग्रेस और बीजेपी मुख्य राजनीतिक पार्टियों के किसी केंद्रीय नेतृत्व तो दूर लेकिन हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री और किसी मंत्रियों ने बाढ़ प्रभावितों तक पहुंचना मुनासिब नहीं समझा वहीं मंडी संसदीय क्षेत्र की सांसद कंगना रनौत को जिस चौहार घाटी ने लीड देने के बाद भी क्षेत्र के गमगीन माहौल में आना तक मुनासिब नहीं समझा।
जबकि प्रदेश के अन्य जगह हुई ऐसी दर्दनाक घटनाओं में यह नेता तुरंत पहुंच कर राहत और बचाव कार्य के साथ साथ अपने राजनीतिक बयान जारी कर देते हैं।
सरकार की नाकामियों को उजागर करने के लिए नेता प्रतिपक्ष चुना जाता है लेकिन नेता प्रतिपक्ष मंडी जिले से होते हुए भी आधमाह बीत जाने के बाद भी नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर अभी तक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का दौरा नही कर पाए जिस मंडी जिला ने बीजेपी को दस में से 9 सीटें बीजेपी की खोली में डाली है । वही चौहार के राजवन गांव में दस लोगों की बाढ़ से मौत हुई है 9 लोगों के शव मिल चुके लेकिन नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने चौहार घाटी से ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है जिसकी खूब चर्चा चौहार घाटी की जनता m होने लगी है।
जिला उपायुक्त अपूर्व देवगण बाढ़ से हुई घटना की जानकारी मिलते ही रातों रात बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लिए निकले और घटना स्थल पर कई किलोमीटर पैदल चलकर राहत और बचाव कार्य शुरू किया।
घाटी में ऐसी घटना दूसरी बार घटित हुई है इससे पहले वर्ष 7 जुलाई 1993 को शिल्हबुधानी पंचायत में एक दर्ज घरों के साथ 16 इंसानी जिंदगियों को बदल फटने से आई भयंकर बाढ़ अपने साथ बहा ले गई थी।
तत्कालीन उपायुक्त तरुण श्रीधर कई मुश्किलों का सामने करते हुए कई किलोमीटर पैदल चल कर वहां पहुंचे पर बचाव और राहत कार्य कर सरकार की तरफ से हरसंभव सहायता पहुंचाई गई। लेकिन बिडंबना यह है 1993 के दौर में इंसान के प्रति इंसानी भावनाओं की कदर होती थी लेकिन वर्तमान दौर में स्वार्थ की राजनीति को ध्यान में रखकर वोट बैंक के नफे और नुकसान की कदर नेता रखने लगे हैं। क्योंकि प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री और उनके कैबिनेट मंत्रियों द्वारा प्रदेश के सभी घटना स्थलों का दौरा कर बाढ़ प्रभावित परिवारों से मुलाकात हर संवेदना प्रकट की गई और राहत प्रदान कर क्षेत्र की सड़कों पुलों का निर्माण 6 दिनों के भीतर तक कर डाला है । लेकिन चौहार घाटी में हुए इतने बड़े हादसे से प्रदेश सरकार तथा मंडी संसदीय क्षेत्र की सांसद कंगना रनौत ने भी दूरियां बना रखी हुई है।
चौहार घाटी बरोट की धमच्यान पंचायत के तेरंग राजवन गांव में बाढ़ ने 10 इंसानी जिंदगियों को मौत के घाट उतार दिया, वहीं तीन घरों को बाढ़ अपने साथ बहा ले गई तथा लाटरान, तत्सवान पंचायतों के नालों ने स्थानीय लोगों के दर्जनों घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया है।
चौहार घाटी में हुए हादसे को लेकर घाटी की जनता प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री ,मंत्रियों तथा वहां के स्थानीय नेताओं की राजनीतिक इच्छा शक्ति को गंभीरता से समझ चुकी है कि हमेशा ही चौहार की जनता को मात्र वोट बैंक की राजनीति से सपने दिखाए जाते रहे,जब कि मुश्किल वक्त में सभी नेताओं दी घाटी की जनता के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता रहा ।
घाटी की जनता को कभी पर्यटन को विकसित करने के नाम से , कभी भांग को कानूनी मान्यता देने के नाम , कभी कृषि क्षेत्र के लिए स्पेशल बजट का प्रावधान करने के नाम से कभी भूवुजोत टनल निर्माण करने के नाम पिछले दस वर्षों से नेताओं और प्रदेश की बीजेपी तथा कांग्रेस सरकारों ने वोट की राजनीति कर विकास कार्यों के मामलों में सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।
यही नहीं स्थानीय नेता जो मुख्यमंत्री के करीबी बता कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेक कर बाढ़ प्रभावित के परिवारों तथा क्षेत्र में क्षतिग्रस्त सड़कें , पेय जल परियोजनाएं, स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने , किसानों की आर्थिकी को मजबूती देने तथा पढ़े लिखे बेरोजगारों युवाओं को रोजगार के लिए मुह्यय करने के बारे में प्रेरित करना चाहिए। तभी क्षेत्र की जनता उन्हे राजनीति में अवसर प्रदान कर सकती है किसी के तबादलों की लंबी सूची से क्षेत्र विकसित नही हो पाएगा। आए दिन क्षेत्र ही नही बल्कि मंडी शहर में भी ऐसी कई चर्चाओं ने जोर पकड़ा है कि ठेकेदारी और तबादला उद्योग कुछ लोगों में मुख्यमंत्री कार्यलय के लोगो के साथ मिलकर चलाया हुआ है ।