चौहार घाटी के बरोट के जंगलों में कश्मले की जड़ों का हो रहा अवैध खनन 

चौहार घाटी के बरोट के जंगलों में कश्मले की जड़ों का हो रहा अवैध खनन 

     *** वन अधिकारी बोले मलकियत में हो रहा कश्मले की जड़ों का कार्य, 

खाल्याल पंचायत की महिला बोली जमीन से नहीं जंगल के जंगल किए तबाह 

 अमर ज्वाला // लतेश शर्मा

चौहार घाटी के वन्य प्रणाली सेंचुरी क्षेत्र के जंगलों से कश्मल की जड़ों का अवैध कारोबार धड़ले से चला हुआ है । वन विभाग के आरण्यपाल से मामले की जानकारी लेनी चाही तो बोले कि उनके पास ठेकेदार द्वारा निजी भूमि से कश्मल की जड़ों को निकालने की अनुमति ली गई है। लेकिन जब बरोट की खल्याहल पंचायत की महिला से बात हुई तो उन्होंने कहा कि निजी भूमि से नहीं जंगलों के जंगल खोदे जा रहे हैं । आजकल 1800 रुपए के क्विंटल बिक्री हो रहे हैं।

      सच्चाई यह है कि चौहार घाटी में वन विभाग के जंगलों के जंगल कश्माले की जड़ों का अवैध कारोबार पिछली कई सालों से फलफूल रहा है । लेकिन वन विभाग अपने अधिकारियों और मीडिया को झूठ पर झूठ रिपोर्ट करता रहा है कि जिनी भूमि से कशमले की जड़ों को निकालने की अनुमति विभाग से ली हुई है।

     प्रदेश सरकार को चाहिए कि चौहार घाटी के जंगलों की गहनता से जांच करें ताकि अवैध खनन मामलों पर सख्ती से कार्यवाही हो पाए।

 देव दयार के जंगलों को तक नहीं छोड़ा हुआ है, 

   वन विभाग के अधिकारियों द्वारा अवैध खनन के नाम से जो पल्ला झाड़ा जाता कि निजी भूमि से कश्मल की जड़ों को निकालने की अनुमति ली हुई है।

सच्चाई यह भी है कि किसानों की निजी भूमि में कश्मले को पहले ही निकला हुआ होता है।

ठेकेदारों द्वारा जिस निजी भूमि से कश्मल की जड़ों को खोदने के लिए भूमि की जम्मावन्दी दी हुई होती है क्या पटवारियों के साथ खनन क्षेत्र में वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों द्वारा मौका कर जांचने का प्रयास किया है ?

    जबकि ठेकेदारों के साथ वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से हिमाचल प्रदेश के जंगलों से कश्मले की जड़ों का अवैध कारोबार कई वर्षों से फलफूल रहा है ।

वन विभाग के रखवाले ही जंगलों के अवैध खनन रोकने की इच्छा शक्ति नहीं जगा पा रहे हैं।

जबकि प्रदेश सरकार की एक अधिसूचना में खैर के पेड़ के अलावा किसी दूसरे पेड़- पौधों का कटान ओर जड़ें खोदने पर पाबंदी लगाई हुई है।

  चौहार घाटी में हुए कश्मले के अवैध खनन की जांच करें तो लाखों रुपए की बन संपदा को अवैध कारोबार के माध्यम से विभाग को नुकसान तो हुआ ही है वहीं भेड़पालकों की भेड़ बकरियों को सर्दियों में मिलने वाले चारे में भी काफी कमी आई हुई है ।

  अधिकारियों और कर्मचारियों को चाहिए कि जंगलों के अवैध खनन से बरसात में अधिकतम भूस्खलन होने की संभावना भी बढ़ती रहती है।

कश्मले की जड़ों से भूमि कटाव कम होता है जब कश्मले की जड़ों को उखाड़ने की अनुमति वन विभाग द्वारा दी जाने लगी है तो भूस्खलन से बचना मुश्किल होता रहेगा।

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