जिला नियंत्रक, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले, कुल्लू, अरविन्द शर्मा द्वारा बताया गया कि विभाग के ध्यान में आया है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत राशनकार्ड धारकों को वितरित किए जा रहे डबल फोर्टीफाईड नमक की गुणवत्ता बारे उपभोक्ताओं को भ्रांतियां व शंकाएं हैं जो कि निराधार एवं तथ्यों पर आधारित नहीं है।
उपभोक्ताओं को शंका है कि उक्त डबल फोर्टीफाईड साल्ट में जो काले कण हैं वे सम्भवतः रेतनुमा इम्पुरिटी है। वास्तव में ये काले कण फेरस फ्यूमरेट के हैं, जिसमें लौह तत्वों को बहुत ही सूक्ष्म रूप में मिश्रित किया गया है। इसके पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य, उपभोक्ताओं (विशेषकर ग्रामीण महिलाओं व बच्चों) में व्याप्त एनीमिया (रक्त में लोह तत्व/हीमोग्लोबिन की कमी) की समस्या पर अंकुश लगाना है, क्योंकि नेशनल फेमली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल प्रदेश में 55% बच्चे व 53% महिलाएं अनेमिक है। चूंकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के राशन की पहुंच हर घर में है अतः यह नमक एनीमिया पर अंकुश लगाने में प्रभावी व कारगर होगा।
इसके अतिरिक्त उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से राशनकार्ड धारकों को वितरित किया जा रहा डबल फोर्टीफाईड साल्ट आयोडीन युक्त भी है क्योंकि आयोडीन उपभोक्ताओं के मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है तथा घेंघा रोग (ग्वाइटर) से भी बचाव करती है।
उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा नमक की गुणवत्ता पर नजर बनाए रखने की दृष्टि से समय-समय पर उचित मूल्य की दुकानों व हि०प्र० राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के गोदामों से सैंपल लेकर प्रयोगशाला में परीक्षण हेतु भेजता रहता है। जिला कुल्लू में इस समय 455 उचित मूल्य की दुकानें तथा 4,32,634 सार्वजनिक वितरण प्रणाली के उपभोक्ता है।