नई दिल्ली। देश के हर व्यक्ति पर बीते दो साल में औसतन 90,000 रुपये का कर्ज बढ़ गया है। व्यक्तिगत उधारकर्ताओं का प्रति व्यक्ति ऋण मार्च, 2025 में 4.8 लाख रुपये हो गया, जो मार्च, 2023 में 3.9 लाख रुपये था। यह वृद्धि मुख्य रूप से उच्च रेटिंग वाले उधार लेने वालों के कारण हुई है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार, उधारकर्ताओं में बेहतर रेटिंग वाले ग्राहकों का हिस्सा बढ़ रहा है। इससे पता चलता है कि समग्र स्तर पर घरेलू खाताबही सही है। हाल के वर्षों में भारत का घरेलू ऋण बढ़ा है, जो वित्तीय क्षेत्र के बढ़ते उधार के कारण है। वैसे दिसंबर, 2024 तक घरेलू ऋण जीडीपी का 41.9% रहा, जो अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कम है।
रिपोर्ट के मुताबिक, गैर आवासीय खुदरा कर्ज मार्च, 2025 तक कुल घरेलू ऋण का 54.9 फीसदी व मार्च, 2024 तक उपयोग योग्य आय का 25.7 फीसदी था। इन कर्जों का उपयोग ज्यादातर खर्च के लिए होता है। हालांकि, खुदरा कर्जी में होम लोन घरेलू ऋण के 29.0 फीसदी पर स्थिर है। उपभोक्ता ऋण एवं एनबीएफसी को दिए बैंक ऋण के कुछ क्षेत्रों पर जोखिम बढ़ाने के आरबीआई के फैसले से ऋण वृद्धि में तेजी से गिरावट आई है।