देवी – देवताओं से बड़े नेता तो बारिश देवताओं से क्यों ?
***देव संस्कृति और देव समाज सदियों से देव नीति और नियत से चलता रहा ,
*** राजनीतिक दखल अंदाजी से देवताओं की नीति और नियम किए नेताओं ने कमजोर
सुभाष ठाकुर *******
हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं की भूमि के नाम से सदियों से जाना जाता रहा है।
देव भूमि हिमाचल प्रदेश में देवी माता और देवताओं का सर्वोत्तम स्थान सदियों से चला आ रहा था । देव संस्कृति और देवताओं के समाज का संचालन देव नीति को स्वच्छ और ईमानदारी से हर कार्यों में खुद को शामिल करना होता है।
वर्तमान में देवी देवताओं का व्यापारीकरण और राजनीतिकरण खुल के किया जाने लगा है । मंदिरों में देवी देवताओं के वीवीआईपी दर्शन जब पैसे दे करना चाहोगे तो आस्था नही बल्कि दर्शन का सौदा कर व्यापारीकरण किया गया है । ऐसे में देव समाज की आस्था खरीदने वाले देवताओं की कमेटियों के पद कारदारों के पद भी बिक्री होने का संदेह पैदा होता है।
देव संस्कृति में व्यापारीकरण , राजनीतिकरण देव समाज के लिए बहुत बड़ा घात पहुंचा चुका है । वही लोग जिन्हें देव संस्कृति में आस्था नही बल्कि अपनी सियासी राजनीतिक रोटियां सेंकने की लालसा के कारण मंदिरों में दर्शन के नाम पहुंचते हैं।
देव नीति के सबसे पहले नीति और नियम द्वारा देवातों के गुर का चयन देवता तब करता है जब क्षेत्र में फसल के लिए धूप ,और बारिश समय पर न होना सबसे बड़ा कारण था है और साथ में देव नीति के मुताबिक गुर द्वारा कोई ऐसा कार्य अनजाने में किया गया जिसके कारण देव समाज में चर्चा का फैलते ही देवता से विशेष पूछताछ के बाद देवता कमेटी द्वारा देवी देवता के गुर का तबादला होता है वैसे ही नए गुर का चयन भी वैसे ही होगा जिससे देवता के गुर को बदलने की प्रथा होती है। लेकिन वर्तमान समय में देव नीति के पहले ही नियम को मनाने तरीके से देवताओं के गुर और कारदारों की नियुक्ति होने लगी है जिसका मुख्य कारण सभी राजनीतिक दलों में शामिल लोगों द्वारा देव समाज के वोट बैंक के लालच में देव नीति को हाशिए पर धकेला गाय है । नेताओं को देवताओं के उत्सवों में मुख्यातिथि देवता नही बुलाया करता है बल्कि वही देव कमेटियों में नेताओं के चाटुकार लोग देव समाज में देवताओं की कमेटियों में घुस कर देवताओं से बड़े नेताओं को तवज्जो दे कर देव संस्कृति का बंटाधार कर रखा है ।
देव भूमि हिमाचल प्रदेश में एक वक्त वह भी था जब राजाओं के महल में देवी देवता रथ के साथ सज धज कर जाता रहा ,और राजाओं से मिलता था। वह इस लिए क्योंकि कि जिस स्थान पर देवी देवताओं का मंदिर होता है जहां पर वह देवी देवताओं की पूजा होती है वह स्थान क्षेत्र के राजाओं की रियासत का राज होने से वह देवता राजा के पास जाता है। देवताओं से बड़ा राजपाट की मान्यता रहती थी । वर्तमान में राजाओं का राज तो नही रहा लेकिन देव समाज की कमेटियों में राजनीतिक दलों से संगठित लोग देव कमेटियों के पद लेकर देवताओं से जुड़े हुए और देवती देवताओं की आस्था रखने वालों देवताओं के नाम से अपनी सियासी रोटियां सेंकने के सिवाय कुछ नहीं हो रहा है ।
जिसके कारण हिमाचल प्रदेश के अधिकांश मंदिरों की कमेटियों द्वारा देवी देवताओं के नाम पर व्यापारीकरण कर दिया गया है ।
देवता के नाम पर व्यापार होने लगा , देवी देवताओं पर अपनी राजनितिक सियासी पारी खेली जाने लगी ऐसे मंदिरों में देवताओं का रथ जरूर लाखों करोड़ों का बनाया जा रहा है लेकिन जब तक देव समाज से जुड़े लोगों द्वारा देव नीति को नियत से अपने मन के भीतर का कपाट नही खोला गया तब तक देवी देवताओं का क्षेत्र से दूर होता जायेगा ।
बॉक्स:
***चौहार घाटी में देव संस्कृति और देव समाज आज भी जिंदा।
***बारिश और धूप के लिए एक गुर तक सीमित नहीं घाटी का देव समाज ।
विशेष:-
चौहार घाटी लगभग आठ देवताओं और ऊंची चोटियों तथा फूलों में समाहित विभिन्न रूपों में देवियों की मान्यता वाली चौहार घाटी की भोली भाली जनता अपने देव समाज के प्रति अनूठी आस्था में लीन आज भी है। घाटी की जनता आज भी अधिकांश फैसले देवता के मंदिर में सच्चे और पक्के फैसले मानकर अपनी रिश्तों की डोर से बंधे रहते हैं।
घाटी की जनता का सबसे बड़ा न्याय अराध्य देव श्री हुरंग नारायण के मंदिर से जो फैसला आया वही सर्वमान्य माना जाता है ।
घाटी में सभी देवी देवताओं का निर्णय देव श्री हुरंग काली नारायण के मंदिर से ही आता है कि किस देवता का गुर और कमेटी में तबादला होना होता है।
श्री हुरंग काली नारायण की मान्यता हिमाचल प्रदेश के कई जिलों के लाखों लोगों में आस्था समाई हुई है । घाटी के लोग धूप बारिश पानी के लिए देवता के मांगते रहे हैं और आज तक हर बार देवता अपने क्षेत्र की जनता की मनोकामना पूर्ण करते आए हैं।
सर्दी के इस मौसम में हिमाचल प्रदेश की जनता बर्फबारी और बारिश की मांग अपनी फसल के सूखने की डर और बीमारी फैलने के डर से देवताओं से बारिश की मांग करने लगे हुए हैं।
चौहार घाटी के देव हुरंग नारायण के गुर को यह मांग करने लगे हैं लेकिन गुर द्वारा कहा गया कि इस माह में गुर को धूप में नही बिठाया जाता है । इसके माह के बाद गुर को धूप में बारिश के लिए बिठाया जायेगा । क्षेत्र की जनता ने देव हुरंग नारायण की बड़ी बहन से माता फूंगनी के पास घाटी की 14 पंचायतों के लोगों की मीटिंग रखी गई है माता से बारिश की मांग की जाएगी । उम्मीद ही नही पूर्ण विश्वास है माता रानी हर संभव क्षेत्र में बारिश बर्फबारी किए बिना लोगों की आस्था का निरादर नही करेगी।
क्योंकि घाटी में देव संस्कृति और देव नीति आज भी जीवित देखी जा रही है ।