एसपीयू में अपात्र शिक्षकों की नियुक्तियों का परिणाम आया सामने , अकादमी परिषद की बैठक में एक निर्णय लेकर लगाई मोहर
सुभाष ठाकुर*******
सरदार पटेल विश्वविद्यालय (एसपीयू) प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों को तीन-तीन विषयों में फेल होने पर भी अगली कक्षाओं में दाखिला देगा। बुधवार को अकादमी परिषद की दूसरी बैठक में ड्रापआउट रोकने के लिए यह बड़ा फैसला किया गया है।
अकादमी परिषद की बैठक में यह निर्णय लेने से साफ दर्शाता है, कि सरदार पटेल विश्वविद्यालय में अपात्र शिक्षकों नियुक्तियों के कारण विद्यार्थियों के भविष्य से बहुत बड़ा धोखा किया जा रहा है।
विद्यार्थी पहली कक्षा से लेकर 12 कक्षा तक हर वर्ष पास होता रहा और वह विश्वविद्यालय में फेल कैसे हो रहा है ?
सरदार पटेल विश्वविद्यालय के शिक्षकों की अपत्रता का मामला न्यायलय तक पहुंचा लेकिन याचिका कर्ता को न्यायलय से खाली हाथ ही लौटना पड़ा, और प्रदेश सरकार द्वारा भी गरीब परिवारों के बच्चों को शिक्षा देने वाले शिक्षकों की पात्रता जांचने में कोई रुचि नहीं दिखाई बल्कि उसी रंग में प्रदेश सरकार भी रंगती हुई नजर आई।
बेहतर राष्ट्र निर्माण के लिए बेहद गुणवक्ता वाली शिक्षा के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए थे लेकिन उम्मीदों का गल्ला सभी मिलकर धीरे धीरे मिल कर घोंटने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
सरदार पटेल विश्वविद्यालय की अकादमी परिषद बैठक में संख्या को बढ़ाने और विद्यार्थियों के पलायन तथा ड्रापआउट रोकने का जिक्र किया गया।
क्योंकि शिक्षा का परिणाम गुरु की कड़ी मेहनत और शिष्य की लगन से परीक्षा उत्तीर्ण करने से शिक्षा की गुणवक्ता में सुधार होगा और विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि होगी ।
सरदार पटेल विश्वविद्यालय में अकादमी परिषद की बैठक में जो निर्णय प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों को तीन-तीन विषयों में फेल होने पर भी अगली कक्षाओं में दाखिला देने का लिया गया निर्णय शिक्षा की गुणवक्ता पर किसी बड़े हमले से कम नही देखा जा रहा है।
यही कारण है कि विश्वविद्यालय में दसवीं फेल भी प्रोफेसर तो सीनियर सेकेंडरी स्कूल के TGT भी प्रोफेसर पद पर नियुक्त होंगे तो समझो ऐसे ही निर्णय लेने पड़ेंगे तीन तीन विषयों में विद्यार्थी के फेल होने पर भी अगली कक्षा में दाखिला किया जायेगा।
कैसे कि पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में सीड साइंस वाला प्लांट साइंस के सहायक प्रोफेसर पद पर किसे नियुक्त किया गया ? कहीं भी कोई कसर नहीं छोड़ी है शिक्षा की गुणवक्ता को गिराने में।
अमर ज्वाला ने बार बार सरदार पटेल विश्वविद्यालय में नियुक्त हुए फर्जी दस्तावेजों से अपात्र प्रोफेसरो की नियुक्तियों के मामले को उजागर किया । किसी को अपात्र शिक्षा का मामला गंभीर नहीं लगा , लेकिन मुसलमानों की मस्जिदें हिमाचल प्रदेश के अलग अलग जिलों में नजर जरूर आई, धरने प्रदर्शन भी हुए लेकिन अल्पसंख्यक सिर्फ मुसलमानों तक सीमित ही यह नजर और सियासत फिर क्यों ?
शिक्षा की गुणवक्ता जरूरी या मुसलमानों का विरोध पहले जरूरी ?
वह इस लिए कि यहां गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे पढ़ते हैं । शहर के अधिकांश लोगों के बच्चे बड़ी बड़ी निजी यूनिवर्सिटियों में पढ़ाई कर रहें हैं इसी लिए सरदार पटेल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर की पात्रता को लेकर किसी के कोई कदम आगे नहीं बड़े। बल्कि शांत हिमाचल में मस्जिद अवैध , मुसलमानों का मंडी में व्यवसाय कैसे बड़ा , मंडी में मकान मालिकों ने मुसलमानों को दुकानें किराए पर क्यों दी उनके लिए बड़ा मुद्दा और खतरा दिखाई दे रहा है। लेकिन शिक्षा की गुणवक्ता लिए इन सियासत दानों को कोई परवाह नहीं उन्हे तो अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकनी होती है।
भले ही शिक्षा की गुणवक्ता में अपने घर का चिराग कमजोर क्यों न हो जाए।